पालमपुर, 23 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि पालमपुर बस अड्डे पर एक युवक द्वारा दराट से एक लड़की को मरने की कोशिश की गई। ऐसी घटनाएं पूरे प्रदेश में ही नही पूरे देश मेंं घट रही है। इनको पढ़ कर शरीर ही नही आत्मा भी कांपने लगती है। पालमपुर की घटना पर पूरे समाज ने अपनी आवाज उठाई है। मुझे विश्वास है सरकार इस पर सख्त कार्यवाही करेगी।
उन्होंने कहा पूरे देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही है। युवकाें में अपराध बढ़ रहे है। आत्महत्याओं के समाचार भी अधिक आने लगे है। मोबाईल व चिटटे का नशा नई पीढ़ी को बर्वाद कर रहा है।
शान्ता कुमार नेे मंगलवार को एक बयान में कहा सरकार और समाज को इस सम्बंध में बड़ी गहराई से कुछ विचार करने की जरूरत है। सबसे बड़ा कारण यह है कि नई पीढ़ी संस्कार विहीन हो गई है। बच्चों को सबसे पहला संस्कार माता-पिता से मिलता था। आज हाथ में मोवाईल लिये हुए बच्चे माता-पिता और दादा-दादी से कोई बात सुनने को तैयार नही। मोबाईल के कारण छोटी आयु में ही बच्चों को यौन और अपराध की बातें पता लगती रहती है।
उन्होंने कहा देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि परिवार में संस्कार लेने को मोबाइल वाला बच्चा तैयार नहीं और समाज में नशा है और अपराध है। इसलिए संस्कार बिहीन नई पीढ़ी भटक रही है। यह केवल कानून व्यवस्था का विषय नहीं है। याद रखें। एक विद्वान ने कहा था कि कानून किसी हत्यारे को फांसी की सजा दे तो सकता है परन्तु कानून अच्छा काम करने का संस्कार नही दे सकता।
शान्ता कुमार ने कहा इस संबन्ध में सबसे जरूरी है नई पीढ़ी को संस्कार देने की व्यवस्था करना। आज की परिस्थिति मेंं यह काम सरकार शिक्षा विभाग द्वारा ही कर सकता है। प्राईमरी से लेकर कॉलेज तक योग और नैतिक शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाया जाए। विद्वानाें की एक कमेटी योग और नैतिक शिक्षा का कक्षा के अनुसार पाठ्यक्रम तय करें। इस विषय में पास होना अनिवार्य हो। इस सम्बंध में अध्यापकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी।
उन्होने कहा मेरी पीढ़ी के लोगोंं को संस्कार मिला था। मुझे परिवार में और गांव में भी कथा-कीर्तन तथा अन्य तरीकों से संस्कार मिलता रहा। सौभाग्य से सनातन धर्म स्कूल में पढ़ा वहां प्रतिदिन प्रार्थना के समय गीता के एक श्लोक पर व्याख्यान होता था। आज 90 वर्ष के अपने जीवन पर मैं मुड़ कर देखता हूं तो सोचता हूं राजनैतिक जीवन में इतना कठिन संघर्ष मैं इसी लिए कर पाया क्योंकि मुझे परिवार से और स्कूल से संस्कार मिले थे। कई बार कुछ कठोर निर्णय करने में सफल हुआ जब कि सब लोग मेरे विरूद्ध थे। जीवन में मिले हुए मेरे संस्कारों की शक्ति ने मुझे एक सफल जीवन व्यतीत करने का अवसर दिया।
शान्ता कुमार ने कहा पालमपुर जैसी घटनाओं पर सरकार और समाज ऊपर से विचार न करे। इस पर अगर बड़ी गहराई से विचार करके संस्कार देनेे की व्यवस्था नही की गई तो मोबाईल और न शा और संस्कार बिहीनता समाज को पूरी भ्रष्ट कर देगी।