Government Policies : मानसून सत्र के लिए कांग्रेस की रणनीति तैयार मुद्दों का पहाड़ और सोनिया की अहम भूमिका

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News India Live, Digital Desk: संसद का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है, और इसके लिए राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी तेज हो गई है। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस, सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी में है। अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए, कांग्रेस ने 15 जुलाई को संसदीय दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी, जहाँ आगामी सत्र के दौरान अपनाई जाने वाली नीति पर गहन चर्चा की जाएगी। यह माना जा रहा है कि इस सत्र में वह कांग्रेस को एकजुट करने और विपक्ष के अन्य दलों के साथ समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे किन मुद्दों पर सरकार को घेरना चाहते हैं। मुख्य रूप से मणिपुर में जारी हिंसा, बढ़ती महंगाई और देश में बेरोजगारी की समस्या उनकी प्राथमिकता में होगी। इसके अतिरिक्त, कांग्रेस सरकार द्वारा जी-20 बैठकों की तैयारियों, जनसंख्या जनगणना और कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी जैसे विषयों पर भी सवाल उठाने की तैयारी में है। पार्टी का जोर इस बात पर रहेगा कि संसद में इन गंभीर मुद्दों पर सिर्फ बहस नहीं, बल्कि विस्तृत और सार्थक चर्चा हो।

कांग्रेस सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह एक आक्रामक रुख अपनाना चाहती है। पार्टी विभिन्न विपक्षी दलों के साथ बेहतर 'फ्लोर कोऑर्डिनेशन' स्थापित करने पर भी ध्यान दे रही है ताकि सरकार को एक मजबूत, संगठित विपक्ष का सामना करना पड़े। पार्टी का मानना है कि केवल सरकार की उपलब्धियों की सूची पढ़ने से काम नहीं चलेगा, बल्कि गंभीर विषयों पर ठोस चर्चा होनी चाहिए।

विपक्ष लगातार अपनी एकता मजबूत करने का प्रयास कर रहा है, जिसके तहत पटना के बाद अब बेंगलुरु में भी एक बड़ी बैठक निर्धारित है। मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और जयराम रमेश जैसे वरिष्ठ नेता इन रणनीतियों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। वहीं, सत्ता पक्ष भी सत्र के लिए पूरी तरह तैयार है, और उम्मीद है कि सरकार अपनी हालिया उपलब्धियों जैसे कि जी-20 की तैयारियों, चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण और आर्थिक विकास की रफ्तार को जोरदार तरीके से पेश करेगी। यह सत्र काफी हंगामेदार रहने की संभावना है, खासकर मणिपुर में शांति बहाली और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर विपक्ष की लगातार मांग है कि प्रधानमंत्री को संसद में बयान देना चाहिए।

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