सरकार यूनियन बजट 2025 में हेल्थ पॉलिसी पर टैक्स छूट बढ़ाने की तैयारी में, टैक्सपेयर्स को होगा बड़ा फायदा

Health Insurance

सरकार यूनियन बजट 2025 में हेल्थ पॉलिसी पर टैक्स डिडक्शन की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। इंश्योरेंस सेक्टर के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से प्रीमियम पर मिलने वाले टैक्स डिडक्शन को बढ़ाने की मांग की थी। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस मांग को गंभीरता से ले रही है और 1 फरवरी को इस संबंध में घोषणा की जा सकती है। इस फैसले से टैक्सपेयर्स को दोहरा लाभ मिलेगा—पहला, वे अपने हेल्थ पॉलिसी के पूरे प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकेंगे, और दूसरा, इससे उन्हें बेहतर हेल्थ कवर लेने में मदद मिलेगी।

सेक्शन 80D के तहत अभी कितना मिलता है डिडक्शन?

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के अनुसार, हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है। वर्तमान में:

  • 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति को अधिकतम ₹25,000 तक का डिडक्शन मिलता है।
  • 60 साल या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा ₹50,000 है।

सरकार ने आखिरी बार यूनियन बजट 2015 में हेल्थ पॉलिसी पर डिडक्शन की सीमा बढ़ाई थी, जब इसे ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 किया गया था। लेकिन यह सुविधा केवल पुरानी टैक्स रीजीम में ही उपलब्ध है।

डिडक्शन की सीमा कितनी बढ़ सकती है?

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 के बाद हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए डिडक्शन सीमा में वृद्धि बेहद जरूरी है। सुझाव के अनुसार:

  • 60 साल से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए डिडक्शन को ₹25,000 से बढ़ाकर ₹50,000 किया जा सकता है।
  • 60 साल या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा ₹75,000 से ₹1,00,000 के बीच बढ़ाई जा सकती है।

इससे टैक्सपेयर्स अपनी हेल्थ पॉलिसी के पूरे प्रीमियम अमाउंट पर टैक्स डिडक्शन का दावा कर पाएंगे। साथ ही, इससे उन पर टैक्स का बोझ भी घटेगा।

डिडक्शन बढ़ने से क्या होंगे फायदे?

पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस हेड सिद्धार्थ सिंघल के अनुसार, कोविड महामारी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस की अहमियत तेजी से बढ़ी है। इंश्योरेंस कंपनियां ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए प्रोडक्ट्स लॉन्च कर रही हैं। ऐसे में, हेल्थ पॉलिसी पर डिडक्शन की सीमा बढ़ने से:

  1. टैक्सपेयर्स पर कम होगा बोझ
    लोग हेल्थ पॉलिसी के पूरे प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का फायदा उठा पाएंगे। वर्तमान में अधिक प्रीमियम चुकाने के बावजूद वे केवल ₹25,000 तक का ही डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
  2. बेहतर हेल्थ कवर का विकल्प
    अभी कई लोग हेल्थ पॉलिसी का कवर बढ़ाने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि प्रीमियम ज्यादा होगा लेकिन डिडक्शन केवल ₹25,000 तक ही मिलेगा। डिडक्शन सीमा बढ़ने से वे उच्च कवर लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
  3. इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ावा
    टैक्स डिडक्शन की सीमा बढ़ने से हेल्थ इंश्योरेंस की मांग में इजाफा होगा, जिससे इंश्योरेंस इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी।

कोविड के बाद हेल्थ इंश्योरेंस क्यों है जरूरी?

कोविड-19 महामारी ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत को उजागर किया, बल्कि हेल्थ इंश्योरेंस की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

  • चिकित्सा खर्चों में तेज बढ़ोतरी के कारण लोगों को अपनी बचत खर्च करनी पड़ी।
  • बेहतर हेल्थ कवर लेने से अप्रत्याशित खर्चों से सुरक्षा मिलती है।
  • हाई प्रीमियम होने के बावजूद टैक्स डिडक्शन सीमित होने से लोग पर्याप्त कवर नहीं ले पाते थे।

सरकार का यह कदम क्यों है जरूरी?

इस प्रस्तावित बदलाव से न केवल व्यक्तिगत करदाताओं को राहत मिलेगी, बल्कि हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच भी बढ़ेगी। लोग अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बेहतर पॉलिसी चुन पाएंगे।

संभावित बदलाव के तहत, सरकार हेल्थ पॉलिसी को और अधिक किफायती बनाने का प्रयास कर रही है। यह कदम टैक्सपेयर्स और इंश्योरेंस इंडस्ट्री दोनों के लिए फायदेमंद होगा।