Govardhan Puja 2025 : जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और क्यों करते हैं गोबर के पर्वत की पूजा

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News India Live, Digital Desk: दिवाली के पांच दिवसीय त्योहारों की श्रृंखला में गोवर्धन पूजा का एक विशेष स्थान है. यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान और भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का उत्सव है. हर साल यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जो दिवाली के ठीक अगले दिन पड़ती है. हालांकि, कभी-कभी तिथि के घटने-बढ़ने के कारण इसमें बदलाव भी हो जाता है, जिससे लोगों में तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बन जाती है.

तो आइए जानते हैं कि साल 2025 में गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी और पूजा का सही शुभ मुहूर्त क्या है.

गोवर्धन पूजा 2025 की सही तारीख (Govardhan Puja 2025 Date)

साल 2025 में दिवाली का पर्व सोमवार, 20 अक्टूबर को है. ऐसे में गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन यानी मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी. इस दिन को 'अन्नकूट' के नाम से भी जाना जाता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Shubh Muhurat)

21 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा के लिए दो बेहद शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, एक सुबह और एक शाम के समय. आप अपनी सुविधानुसार किसी भी मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.

  • सुबह का मुहूर्त (प्रातःकाल): सुबह 06:29 से लेकर सुबह 08:44 तक.
    • पूजा की अवधि: लगभग 2 घंटे 15 मिनट.
  • शाम का मुहूर्त (सायंकाल): शाम 04:36 से लेकर शाम 05:40 तक.
    • पूजा की अवधि: लगभग 1 घंटा 04 मिनट.

क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा?

इस त्योहार के पीछे भगवान कृष्ण की एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है. द्वापर युग में ब्रज के लोग इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते थे. तब भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि हमारे असली देवता तो गोवर्धन पर्वत हैं, जो हमें फल, सब्जियां और हमारे पशुओं को चारा देकर हमारा पालन-पोषण करते हैं, इसलिए हमें इंद्रदेव की नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए.

जब ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की, तो इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी ब्रजवासियों और पशुओं की रक्षा की. उसी दिन से गोवर्धन पूजा की यह परंपरा चली आ रही है.

इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाते हैं, उसकी पूजा करते हैं और 'अन्नकूट' का भोग लगाते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियों को मिलाकर बनाया गया प्रसाद होता है. यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति का हमेशा आभारी रहना चाहिए.

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