उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने करीब 100 लोगों की समस्याएं सुनीं और उनके समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने एक छोटी बच्ची को दुलारते हुए चॉकलेट दी, जिससे माहौल भावुक हो गया। वहीं, एक महिला ने इलाज के लिए मदद मांगी, जिस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत सहायता का भरोसा दिया।
इसके बाद सीएम योगी ने गोरखनाथ यूनिवर्सिटी में आयोजित “योग, आयुर्वेद और नाथपंथ” पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में हिस्सा लिया और युवाओं को इन प्राचीन परंपराओं पर शोध करने के लिए प्रेरित किया।
योग, आयुर्वेद और नाथपंथ पर सीएम योगी के विचार
जनता दर्शन कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योग, आयुर्वेद और नाथपंथ को भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा बताया। उन्होंने कहा:
- हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है और यह प्रकृति का हिस्सा है।
- जप और ध्यान (मेडिटेशन) के जरिए मन को शांत किया जा सकता है और उच्च स्थिति में ले जाया जा सकता है।
- इन विधाओं के अभ्यास से जीवन को स्वस्थ, संतुलित और खुशहाल बनाया जा सकता है।
गोरखनाथ यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस
सीएम योगी ने गोरखनाथ यूनिवर्सिटी में “आयुर्वेद, योग और नाथपंथ” पर हो रहे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में छात्रों और शोधकर्ताओं को संबोधित किया।
मुख्य बातें:
- योग और आयुर्वेद:
- ये केवल प्राचीन परंपराएं नहीं, बल्कि स्वस्थ और संतुलित जीवन का आधार हैं।
- इनसे बीमारियों का उपचार किया जा सकता है और शरीर व मन को मजबूत बनाया जा सकता है।
- नाथपंथ का योगदान:
- यह ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा और शरीर को जोड़ने का मार्ग दिखाता है।
दुनिया में योग और आयुर्वेद की बढ़ती स्वीकार्यता
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया योग और आयुर्वेद को अपना रही है।
- उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं को इन प्राचीन विधाओं पर अधिक काम करने की अपील की।
- सीएम ने कहा कि योग और आयुर्वेद का सही उपयोग करके न केवल बीमारियों को रोका जा सकता है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बनाया जा सकता है।
सीएम का संदेश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि:
- भारत की प्राचीन परंपराएं आज भी प्रासंगिक हैं और पूरी दुनिया को स्वस्थ जीवन जीने का रास्ता दिखा सकती हैं।
- युवाओं को इन परंपराओं को समझने और शोध के माध्यम से इनके फायदों को विश्व पटल पर ले जाने का प्रयास करना चाहिए।