शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी! सरकार बढ़ा रही मानदेय, जानिए कितनी होगी बढ़ोतरी?

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शिक्षामित्रों का मानदेय यूपी में: उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को बड़ी राहत देने की तैयारी सरकार की ओर से की जा रही है। सरकार राज्य के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रही है। इससे संबंधित पत्र राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के वित्त विभाग को भेज दिया गया है। शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल अवमानना ​​याचिका पर सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई।

मानदेय बढ़ाने से सरकारी खजाने पर बढ़ेगा बोझ

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा। ऐसे में वित्त विभाग की सहमति के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना ​​याचिका पर जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता के वकील सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि शिक्षामित्रों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग को लेकर वर्ष 2023 में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों का मानदेय बहुत कम है।

सम्मानजनक मानदेय तय करने का आदेश

हाईकोर्ट ने सरकार को इसके लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। वित्तीय सूचकांक के अनुसार जीवन यापन के लिए सम्मानजनक मानदेय तय करने का आदेश था। जब कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ तो विवेकानंद की ओर से अवमानना ​​याचिका दाखिल की गई। सरकारी वकील की ओर से कोर्ट को दी गई जानकारी में बताया गया कि 12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी।

समिति ने अगस्त 2024 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की

इस कमेटी ने 9 अगस्त 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। बढ़ते वित्तीय बोझ को देखते हुए वित्त विभाग की ओर से रिपोर्ट भेजी गई है। शिक्षामित्र संघ के सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर वर्ष 2023 में याचिका दाखिल की गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कोर्ट के माध्यम से कहा था कि शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला मानदेय काफी कम है। कोर्ट ने सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट की ओर से जारी आदेश के तहत वित्तीय सूचकांक के आधार पर जीवन यापन के लिए सम्मानजनक मानदेय तय किया जाए।