नई दिल्ली: केंद्र में मोदी 3.0 सरकार बनने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। दरअसल, नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। सामने आई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की आखिरी बेसिक सैलरी पर 50 फीसदी पेंशन की गारंटी का प्रस्ताव रखा है।
समिति का गठन टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में किया गया था
पिछले साल मार्च 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के नेतृत्व में एक समिति गठित की थी, जिसका उद्देश्य गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना (OPS) की ओर लौटे बिना राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी NPS के तहत पेंशन लाभ में सुधार के तरीके खोजना था। यह समिति तब बनाई गई थी, जब देश के कई राज्यों ने राष्ट्रीय पेंशन योजना को लागू करने से इनकार कर दिया था और पुरानी पेंशन व्यवस्था OPS की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
समिति में ये लोग शामिल
आपको बता दें कि इस समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की गई थी। इस समिति में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में विशेष सचिव राधा चौहान, एनी मैथ्यू और पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक मोहंती शामिल थे।
50 प्रतिशत पेंशन की गारंटी
गौरतलब है कि नेशनल पेंशन स्कीम के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के आखिरी वेतन के 40 से 50 फीसदी के बराबर पेंशन की गारंटी होगी। आसान भाषा में कहें तो अगर आप 50,000 रुपये महीने की आखिरी सैलरी पर रिटायर होते हैं तो आपको पेंशन के तौर पर 20 से 25 हजार रुपये महीने दिए जाएंगे। हालांकि, कुल सेवा काल और पेंशन फंड से आपके द्वारा की गई किसी भी तरह की निकासी को एडजस्ट किया जाएगा। इस पेंशन गारंटी को पूरा करने के लिए पेंशन फंड में किसी भी तरह की कमी को केंद्र सरकार के बजट से पूरा किया जाएगा।
87 लाख से अधिक कर्मचारियों को होगा लाभ
गौरतलब है कि अगर नेशनल पेंशन सिस्टम लागू होता है तो 1 जनवरी 2004 से नेशनल पेंशन स्कीम में रजिस्टर्ड 87 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। वित्त मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक डीए दरों में बढ़ोतरी के साथ यह रकम बढ़ती रहती है। मंत्रालय ने कहा था कि ओपीएस वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह अंशदायी नहीं है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता रहता है।