भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मध्यम वर्ग को राहत देने की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले महीने होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में RBI रेपो रेट में कटौती कर सकता है। इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ कम पड़ेगा।
अप्रैल में हो सकती है रेपो रेट में 0.25% की कटौती
रिसर्च एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अपनी अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर सकता है।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा:
“हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 में हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 4.7% रहेगी। इसके चलते RBI आने वाले समय में मौद्रिक नीति में कुल 0.75% तक की कटौती कर सकता है।”
हालांकि, अगर अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क का असर ज्यादा हुआ, तो RBI और भी बड़ी दर कटौती पर विचार कर सकता है।
RBI की अगली बैठक कब होगी?
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अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 7 से 9 अप्रैल 2025 के बीच होगी।
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इस बैठक में रेपो रेट को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट: कितनी हो सकती है रेपो रेट में कटौती?
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, RBI अप्रैल 2025 की बैठक में 0.25% की कटौती कर सकता है।
समय अवधि | संभावित रेपो रेट कटौती |
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फरवरी 2025 | 0.25% कटौती (6.25%) |
अप्रैल 2025 | 0.25% कटौती (6.00%) |
फरवरी 2026 तक | कुल 0.75% कटौती (5.5%) |
इससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य ऋणों की ईएमआई कम हो सकती है।
पिछले साल RBI ने क्यों नहीं की थी कटौती?
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मुद्रास्फीति (महंगाई) अधिक होने के कारण RBI ने लंबे समय तक रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था।
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मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच RBI ने रेपो रेट 2.50% बढ़ाकर 6.5% कर दिया था।
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अब, महंगाई दर घटने के संकेत मिल रहे हैं, जिससे ब्याज दरों में कटौती संभव हो सकती है।
फरवरी 2025 में भी हुई थी रेपो रेट में कटौती
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फरवरी 2025 में, RBI ने रेपो दर में 0.25% की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया था।
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इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि मार्च 2025 की तिमाही में खुदरा महंगाई दर 21 तिमाहियों के बाद पहली बार 4% से नीचे आ जाएगी।
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इस गिरावट के चलते RBI आगे और 0.75% तक की कटौती कर सकता है।
क्या होगा रेपो रेट कटौती का असर?
होम लोन और अन्य लोन की ब्याज दरें कम होंगी
बाजार में लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ेगी
आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा
महंगाई दर को नियंत्रण में रखा जाएगा