नई दिल्ली: आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए ई-फाइलिंग आईटीआर पोर्टल में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इससे करदाताओं को और सुविधा होगी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विभाग के एक आंतरिक सर्कुलर से पता चला है कि जल्द ही एक नया आईटीआर ई-फाइलिंग पोर्टल IEC 3.0 लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। आंतरिक सर्कुलर के मुताबिक मौजूदा एकीकृत ई-फाइलिंग और केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (IEC) 2.0 का संचालन चरण समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही IEC 3.0 एक नए प्रोजेक्ट के रूप में इसकी जगह लेगा। आइए जानते हैं इसके बारे में।
आईईसी परियोजना क्या है?
आईईसी परियोजना ई-फाइलिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करती है। यह करदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपना आईटीआर दाखिल करने, नियमित फॉर्म जमा करने और कई अन्य सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति देता है। आईईसी परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) है। यह ई-फाइलिंग पोर्टल और आईटीबीए की मदद से दाखिल किए गए आईटीआर को प्रोसेस करने की जिम्मेदारी लेता है। इसके अलावा, आईईसी एक बैक-ऑफिस (बीओ) पोर्टल भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से, फील्ड अधिकारी करदाता फाइलिंग और प्रोसेसिंग डेटा तक पहुंच सकते हैं।
आईईसी 3.0 कैसे मदद करेगा?
आंतरिक परिपत्र में कहा गया है कि प्रोजेक्ट IEC 3.0 का लक्ष्य सिर्फ़ प्रोजेक्ट IEC 2.0 द्वारा दी जा रही सेवाओं को जारी रखना नहीं है। बल्कि एक बेहतर व्यवस्था स्थापित करना है। ITR की प्रोसेसिंग में ज़रूरी सुधार किए जाने हैं। नई व्यवस्था से ITR की प्रोसेसिंग में तेज़ी लाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है, ताकि करदाता को जल्दी रिफंड मिल सके। इसके अलावा, इससे IEC 2.0 की कमियों और शिकायतों में कमी आ सकती है।
क्या लाभ होगा?
चार्टर्ड अकाउंटेंट आशीष नीरज का कहना है कि आईईसी 2.0 से आईईसी 3.0 में बदलाव करदाताओं के लिए अधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल अनुभव ला सकता है। आईईसी 3.0 में सख्त डेटा गुणवत्ता जांच लागू की जानी चाहिए। पिछले साल आईईसी 2.0 में करदाताओं और पेशेवरों को आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करने, 26एएस डाउनलोड करने, सर्वर से संबंधित गड़बड़ियों, चालान भुगतान में समस्या आदि समस्याओं का सामना करना पड़ा था, जिसे आईईसी 3.0 में सुधारा जा सकता है। आंतरिक परिपत्र में कहा गया है कि परियोजना आईईसी 3.0 का आने वाले वर्षों में विभाग और आम जनता के कामकाज पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, आयकर विभाग के लिए आईईसी 3.0 परियोजना को उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए राय और सुझाव लेना महत्वपूर्ण है।
अपग्रेड करना क्यों आवश्यक है?
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन, सूरत (सीएएएस) के अध्यक्ष हार्दिक काकड़िया कहते हैं कि फेस्टिव सेल ऑफर के दौरान कोई भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म क्रैश नहीं होता। वहीं, आईटीआर ई-फाइलिंग पोर्टल में दिक्कतें आती रहती हैं। आयकर पोर्टल में दिक्कतों को लेकर सीएएएस की ओर से गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है। इसलिए अगर समझदारी से काम लिया जाए और पोर्टल को समय रहते अपग्रेड कर दिया जाए तो न सिर्फ दिक्कतों से बचा जा सकता है, बल्कि कई मुकदमों से भी बचा जा सकता है।