ग्लोबल ‘दादागिरी पर नितिन गडकरी का करारा प्रहार ,अमेरिका के टैरिफ संकट में भारत के पास क्या विकल्प है?
क्या भारत आज भी दूसरों के रहमोकरम पर है, या अब वक्त आ चुका है सभी को करारा जवाब देने का? केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर के VNIT में एक कार्यक्रम के दौरान इसी सवाल को ठोस जवाब दिया और दुनिया को भारत की ताकत दिखाने का संदेश दिया।
टेक्नोलॉजी और ताकत ,असली सम्मान की कुंजी
गडकरी ने साफ कहा, दुनिया में जो देश दादागिरी कर रहे हैं, उनकी आर्थिक शक्ति और टेक्नोलॉजी सबसे बड़ी वजह है। अगर हमारे पास भी बेहतर टेक्नोलॉजी और रिसोर्सेज हों, तो हम किसी को धमकाएंगे नहीं, क्योंकि हमारी संस्कृति सबका कल्याण सिखाती है। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा ,एक्सपोर्ट बढ़ाओ, इम्पोर्ट कम करो, साइंस-टेक्नोलॉजी मजबूत करो, तभी कोई हमें नीचा नहीं दिखा सकता।
अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद – हालात और तनाव
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को भारतीय सामानों पर अतिरिक्त 25% ड्यूटी लगा दी, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। ये भारत के लिए अभी तक का सबसे बड़ा टैरिफ है , टेक्सटाइल, रत्न, फार्मा, ऑटो पार्ट्स समेत कई सेक्टर मुश्किल में हैं। भारत अब सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले अमेरिकी ट्रेड पार्टनर में शामिल हो गया है।
अमेरिका ने यह सख्ती भारत के रूस से तेल आयात जारी रखने पर दिखाई है। भारत ने जवाब दिया कि उसकी ऊर्जा जरूरतें प्राथमिकता हैं, और US/EU के दोहरे रवैये पर भी सवाल उठाए,दूसरे देशों को ऐसी सजा क्यों नहीं?
कूटनीतिक दरार और भारत का रुख
इन टैरिफ्स ने दो दशक में सबसे बड़ी कूटनीतिक दरार पैदा कर दी है। अमेरिका ने ट्रेड टॉक सस्पेंड कर दी और और सख्त एक्शन की चेतावनी दी। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा, हम किसानों, मछुआरों, और डेयरी वर्कर्स के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे,चाहे इसकी कितनी भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा, कुछ ताकतें भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से परेशान हैं।
भारत ने इन टैक्सों को अनुचित, गैर-तर्कसंगत और अव्यावहारिक करार दिया है और राष्ट्रीय हित संरक्षण के लिए हर जरूरी कदम उठाने की बात कही है।
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