प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में निखिल कामत के साथ एक पॉडकास्ट में अपने जीवन के व्यक्तिगत पहलुओं और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने अपने बचपन, दोस्ती और जीवन के संघर्षों पर खुलकर बात की। पीएम मोदी ने बताया कि बचपन में घर छोड़ने के बाद से उनकी ज़िंदगी में गहरा बदलाव आया और दोस्ती जैसे रिश्ते धीरे-धीरे खत्म हो गए।
बचपन के दोस्तों से संपर्क टूटने का कारण
पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने बहुत कम उम्र में घर छोड़ दिया था, जिससे स्कूली दोस्तों से संपर्क पूरी तरह समाप्त हो गया। उन्होंने कहा:
“मेरे जीवन में ऐसा कोई नहीं बचा, जो मुझे ‘तू’ कह सके।”
उनका यह कथन उनके जीवन की भावनात्मक स्थिति को स्पष्ट करता है। उन्होंने याद किया कि जब वे मुख्यमंत्री बने, तो उनकी इच्छा थी कि अपने स्कूली दोस्तों से मिलें। इस प्रयास में करीब 35 पुराने दोस्तों को बुलाया, लेकिन उस मुलाकात में वह गर्मजोशी महसूस नहीं हुई जो दोस्ती में होती है।
मोदी ने कहा कि उनकी पहचान और पद ने उनके रिश्तों में दूरी पैदा कर दी।
“मैं उनमें दोस्त ढूंढ रहा था, लेकिन वे मुझमें मुख्यमंत्री देख रहे थे,” उन्होंने कहा।
टीचर का महत्व: रासबिहारी मणियार का जिक्र
प्रधानमंत्री ने अपने एक अध्यापक, रासबिहारी मणियार, का जिक्र किया, जो उन्हें हमेशा “तू” कहकर संबोधित करते थे। उनके अनुसार, वह ऐसे अंतिम व्यक्ति थे, जो औपचारिकता से परे उनके साथ जुड़ते थे। मणियार जी का 94 साल की उम्र में हाल ही में निधन हुआ। मोदी ने कहा:
“उनके बाद मेरी जिंदगी में कोई ‘तू’ कहने वाला नहीं बचा।”
मुख्यमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने अपने सभी अध्यापकों का सम्मान करने की इच्छा पूरी की। उन्होंने सभी शिक्षकों को ढूंढकर सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया। उनका मानना है कि उनके जीवन की सफलता में इन शिक्षकों का भी बड़ा योगदान है।
बचपन की यादें: औसत छात्र से मिशनरी सोच तक का सफर
पीएम मोदी ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह कभी स्कूल में उत्कृष्ट छात्र नहीं रहे। लेकिन उनके एक टीचर ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता का मूल मंत्र “मिशन” के प्रति समर्पण है।
उन्होंने कहा:
“राजनीति में सफलता का मापदंड एंबिशन नहीं, बल्कि मिशन होना चाहिए।”
यह दृष्टिकोण उन्हें महात्मा गांधी से प्रेरित करता है, जो सत्ता में आने की आकांक्षा से दूर रहकर अपने जीवन से आदर्श प्रस्तुत करते थे।
महात्मा गांधी: प्रेरणा का स्रोत
महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि उनकी सादगी और संचार कला राजनीति में उनकी सफलता का आधार थी। गांधी ने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन “गांधी टोपी” पूरी दुनिया में पहनी गई। उन्होंने कहा:
“गांधीजी दुबले-पतले थे और साधारण जीवन जीते थे, फिर भी महान थे क्योंकि उनका जीवन बोलता था।”
गांधीजी का एक बड़ा डंडा उनके हाथ में होता था, लेकिन वह अहिंसा की बात करते थे। यह उनके जीवन के संदेश की ताकत थी कि लोग उनकी बात मानते थे। पीएम मोदी ने बताया कि गांधी ने सत्ता में रहते हुए राजनीति नहीं की, बल्कि उनके निधन के बाद उनकी समाधि को “राजघाट” नाम दिया गया।
संचार कला का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीति में संचार कला की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषण कला से ज्यादा जरूरी है कि आप अपने विचारों को प्रभावी तरीके से लोगों तक पहुंचा सकें। उनका मानना है कि महात्मा गांधी जैसे नेताओं की सफलता उनके विचारों को जनता के साथ जोड़ने की कला में थी।