गिरनार लिली परिक्रमा: गिरनार लिली परिक्रमा गुजराती नव वर्ष में कार्तक सूद के 11वें दिन शुरू होती है। इस वर्ष हरित परिक्रमा 12 नवंबर को शुरू होगी। यह हरित परिक्रमा भवनाथ के दामोदर कुंड में स्नान के साथ शुरू होती है। तब हमारे मन में एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि गिरनार की हरित परिक्रमा की शुरुआत किसने की होगी। तो फिर इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गिरनार के ग्रीन टूर की शुरुआत किसने की.
गिरनार की हरित यात्रा किसने शुरू की?
इतिहासकारों का कहना है कि गिरनार की हरित परिक्रमा प्राचीन काल से चली आ रही प्रथा है। इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि यह प्राचीन प्रथा कुछ कारणों से वर्षों तक बंद रही। 1864 ई. में जूनागढ़ के दीवान अनन्तजी अमरचंद रहते थे। कहा जाता है कि उन्होंने इस गिरनार की हरित परिक्रमा फिर से शुरू की थी।
इतिहासकारों का कहना है कि आजादी से पहले गिरनार की यह हरित परिक्रमा तीन दिन में पूरी होती थी। यह ग्रीन सर्किट भवनाथ से शुरू होकर मारावेला में रात्रि विश्राम कर बलदेव माता की गुफा तक आगे बढ़ने पर दूसरी रात्रि का आवास होगा। इस प्रकार तीसरे दिन वे वापस भवनाथ पहुँच रहे थे। वर्तमान ग्रीन सर्कल में कई सुविधाएं जोड़ी गई हैं। वर्तमान सर्किट में कई फूड कोर्ट, सेवा क्षेत्र और ड्रॉप-ऑफ सुविधाएं हैं। जबकि पिछली हरित परिक्रमा में तीर्थयात्रियों को खाने-पीने समेत अपना सारा सामान खुद ही ले जाना पड़ता था।