घाटशिला का अनोखा चुनाव, 13 में से 10 उम्मीदवारों को तो NOTA ने ही हरा दिया
News India Live, Digital Desk: झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे जितने दिलचस्प हैं, उतने ही हैरान करने वाले भी हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रदीप कुमार बालमुचू ने सत्ताधारी दल JMM के उम्मीदवार को हराकर शानदार वापसी तो की, लेकिन असली कहानी का हीरो कोई उम्मीदवार नहीं, बल्कि 'NOTA' (None of the Above) बन गया है।
जी हाँ, घाटशिला की जनता ने इस बार ऐसा फैसला सुनाया है, जो सभी राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। इस चुनाव में 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे, लेकिन उनमें से 10 उम्मीदवारों को तो NOTA ने ही धूल चटा दी।
जब जनता को कोई नहीं आया पसंद
उपचुनाव के नतीजों में सामने आया कि 5,160 मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को अपना वोट देने के लायक नहीं समझा और उन्होंने EVM पर NOTA का बटन दबाया। यह आंकड़ा इतना बड़ा था कि चुनाव लड़ रहे 10 उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों से भी ज्यादा था। यह साफ तौर पर दिखाता है कि घाटशिला की जनता का एक बड़ा हिस्सा मैदान में उतरे उम्मीदवारों से कितना नाखुश था।
कौन जीता, कौन हारा?
इस त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस के प्रदीप कुमार बालमुचू ने 69,006 वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के उम्मीदवार रामदास सोरेन को 15,990 वोटों के बड़े अंतर से हराया। रामदास सोरेन को 53,016 वोट मिले।
सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद JMM उम्मीदवार की यह हार हेमंत सोरेन सरकार के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। वहीं, एनडीए गठबंधन की सहयोगी पार्टी आजसू (AJSU) के उम्मीदवार दिनेश महतो 21,570 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
NOTA ने कैसे बदला खेल?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि NOTA को मिले इतने ज्यादा वोट सिर्फ एक आंकड़ा नहीं हैं, बल्कि यह जनता के गुस्से और हताशा का प्रतीक है। यह दिखाता है कि लोग अपने मौजूदा विकल्पों से खुश नहीं थे और उन्होंने एक मजबूत संदेश देने के लिए NOTA का इस्तेमाल किया।
यह परिणाम सभी राजनीतिक दलों के लिए एक सबक है कि वे जनता की भावनाओं को हल्के में नहीं ले सकते। अगर उम्मीदवार जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरेंगे, तो जनता उन्हें खारिज करने में देर नहीं लगाएगी, चाहे वह किसी भी पार्टी के क्यों न हों।
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