जर्मन अधिकारी माता-पिता को महीने में एक बार अरिहा जाने की अनुमति देते

मुंबई: जर्मनी की एक अदालत ने जर्मन पालन गृह (पालन केंद्र) में रखी जैन परिवार की बच्ची अरिहा से उसके माता-पिता को महीने में एक बार मिलने की इजाजत दे दी है.

मूल रूप से भयंदर के रहने वाले पति-पत्नी भावेश और धारा शाह, जो जर्मनी में काम करते हैं, ने सितंबर 2021 में बच्ची को उनसे अलग कर दिया और इसे एक पालन गृह को सौंप दिया। ठाणे के सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि जर्मन अदालत ने अब माता-पिता को अपनी साढ़े तीन साल की बेटी से महीने में एक बार मिलने की इजाजत दे दी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अरिहा को भारत वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय की कोशिशें भी जारी हैं. 

विदेश मंत्रालय के दावे के मुताबिक, साढ़े तीन साल की इस बच्ची को एक जर्मन संस्था द्वारा मंदिर ले जाया जा रहा है और उसे जैन रीति-रिवाजों और मातृभाषा गुजराती से भी अवगत कराया जा रहा है. 

यहां यह याद दिलाया जा सकता है कि काम के सिलसिले में जर्मनी आये एक पति-पत्नी का बच्चा केवल छह महीने का था जब जर्मन अदालत ने पिटाई के संदेह के आधार पर बच्चे को युवा कल्याण प्राधिकरण को सौंपने का आदेश दिया था। म्हस्के ने विदेश मंत्रालय के साथ पत्राचार का हवाला देते हुए कहा, निचली अदालत के आदेश को बर्लिन कोर्ट ऑफ अपील ने जुलाई 2024 में बरकरार रखा था।