Gehlot's presence in Delhi Darbar: पूर्व CM की उपराष्ट्रपति से रहस्यमयी मुलाकात पर BJP को गहरा संदेह
News India Live, Digital Desk: Gehlot's presence in Delhi Darbar: राजस्थान के राजनीतिक हलकों में इस समय एक ऐसी मुलाकात को लेकर तेज फुसफुसाहट और बहस छिड़ गई है, जिसने सियासी गर्मी बढ़ा दी है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने दिल्ली में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की है। इस बैठक ने राजस्थान की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी है, क्योंकि उपराष्ट्रपति धनखड़ का अपना भी एक गहरा राजस्थान कनेक्शन है - वे कभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। ऐसे में इस 'अनौपचारिक' मुलाकात के पीछे के राजनीतिक मायने टटोलने की कोशिशें जारी हैं।
भाजपा खेमा इस मुलाकात को लेकर बेहद हमलावर हो गया है और अशोक गहलोत पर सीधे तौर पर निशाना साध रहा है। सत्ताधारी पार्टी ने इस भेंट को तंज कसते हुए 'गुरु-शिष्य परंपरा' का नाम दिया है और इस पर सवाल उठाए हैं कि आखिर ऐसी बार-बार की मुलाकातों के पीछे क्या सियासी खेल चल रहा है। भाजपा के नेताओं ने इशारों-इशारों में कहा कि एक तरफ जब भाजपा के ही कई नेता उपराष्ट्रपति से मिलने के लिए तरस रहे हैं, तब अशोक गहलोत किस मकसद से इतनी आसानी और इतनी बार मुलाकात कर पा रहे हैं।
यह भी गौरतलब है कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब उपराष्ट्रपति बनने के बाद गहलोत ने धनखड़ से मुलाकात की हो। इससे पहले भी वे दोनों मिल चुके हैं। इतना ही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार गोविंद शर्मा ने भी कुछ समय पूर्व जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी, जिसने उस समय भी सियासी तापमान बढ़ा दिया था। भाजपा अब इन्हीं निरंतर मुलाकातों को लेकर अशोक गहलोत से जवाब मांग रही है।
भाजपा का सीधा आरोप है कि अशोक गहलोत शायद अब अपने लिए कोई नया राजनीतिक ठिकाना तलाश रहे हैं, या फिर आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर कोई बड़ी और गुप्त रणनीति तैयार कर रहे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनावों के बाद गहलोत फिलहाल किसी पद पर नहीं हैं, ऐसे में उनकी हर सियासी गतिविधि पर बारीक नज़र रखी जा रही है। इन मुलाकातों ने राज्य की राजनीति में नई गर्माहट घोल दी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि ये मुलाकाते आगे चलकर राजस्थान के राजनीतिक समीकरणों पर क्या और कितना प्रभाव डालती हैं।
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