जयपुर, 20 मई (हि.स.)। राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अल्पना कटेजा की अध्यक्षता में स्पोर्ट्स बोर्ड द्वारा खिलाड़ियों को डोपिंग से बचने के लिए आयोजित सेमिनार में जागरूक किया गया।
खेल बोर्ड सचिव डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया डोपिंग की तमाम नुकसान से रुबरु किया, साथ ही साथ डोपिंग पर और अंकुश लगाने के लिए रिजिनल एन्टी डोपिंग एजेंसी की स्थापना की जरूरत बताई। नाडा की मेडिकल ज्यूरी मेंबर डॉ. संजोगिता सूडान ने कहा कि पहले जहां पन्द्रह दिन में एक केस हमारे पास आते थे वहीं अब सप्ताह में चार केस आ रहे हैं। पुरुषों की तुलना में महिला खिलाड़ी ज्यादा डोप पॉजिटिव पाई जा रहीं हैं। इसके पीछे उनके परिवार का दबाव बड़ी वजह है। इतना ही नहीं इसमें नौकरी पाने की चाहत उन्हें इस तरफ ले जा रहा है। इससे बचना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि जो खिलाड़ी वहां सेम्पल नहीं देते हैं उन्हें बिना टेस्ट के ही पॉजिटिव मान लिया जाता है। इसलिए इन सबसे बचने के लिए खिलाड़ी सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर्स से ही दवाएं लें न कि स्वयं दवा न लें। खिलाड़ियों को यह हिदायत भी दी गई कि जब भी किसी डॉक्टर से जरूरत पड़ने पर मिलें बीमारी के साथ-साथ उन्हें अपने खिलाड़ी होने की जानकारी भी दे।
व्याख्यान के अतिथि वक्ता जी.एल. शर्मा, चीफ कार्डियोलॉजिस्ट, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केन्द्र, जयपुर ने खिलाड़ियों को तमाम तरह के ड्रग्स एवं डोपिंग के तरीकों पर चर्चा की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्जुन अवार्डी और ओलंपियन गोपाल सैनी ने कहा कि नेचुरल रहने से ही फायदा है। डोपिंग से शार्ट टर्म में फायदा मिलता है लेकिन लंबे समय के लिए नुकसान हो जाता है। इसलिए बचकर रहना चाहिए तथा लोगों को जितना अवेयर करेंगे, उतना बढिया रहेगा। श्री गोपाल सैनी ने अपने पुराने अनुभवों को साझा किया।
इस सेमिनार में सभी विशेषज्ञों ने सप्लीमेंट और दवाओं से दूर रहने की सलाह दी है, क्योंकि कई बार अनजाने में खिलाड़ी दवाई खा लेते हैं और उसकी डोप रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। यहां तक की चार कप काफी पीने के बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। इसलिए इन सभी बातों से बचना चाहिए।
डॉ. शैलेश कुमार मौर्य ने डोपिंग के नुकसान के बारे में बताते हुए कार्यक्रम का समापन किया तथा सुरेन्द्र मीना ने सभी आगंतुक, शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं मीडियाकर्मी साथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।