Ganesh Visarjan 2025 : गणपति बप्पा को घर तो ले आए, पर विसर्जन कब और कैसे करें, जानें सही नियम और तारीखें

Post

Newsindia live,Digital Desk: Ganesh Visarjan 2025 : गणेश चतुर्थी का महापर्व बप्पा के आगमन की खुशियों के साथ शुरू होता है। इस साल 27 अगस्त 2025 को गणेश चतुर्थी के दिन भक्तगण ढोल-नगाड़ों के साथ गणपति को अपने घरों में विराजमान करेंगे।[1][2] लेकिन जितने उत्साह से बप्पा को लाया जाता है, उतने ही सम्मान और सही विधि के साथ उनकी विदाई भी ज़रूरी है।

कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि गणपति की स्थापना कितने दिनों के लिए करनी चाहिए और विसर्जन का सही समय क्या है। आइए, जानते हैं कि आप अपनी श्रद्धा और परंपरा के अनुसार बप्पा का विसर्जन कब और कैसे कर सकते हैं।

विसर्जन के लिए कौन-कौन से दिन हैं शुभ?

आमतौर पर गणेश उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जो अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के साथ समाप्त होता है। हालांकि, भक्त अपनी सुविधानुसार डेढ़ दिन, 3, 5, 7 या पूरे 10 दिनों तक बप्पा को घर में रखते हैं।

इस साल विसर्जन की प्रमुख तारीखें इस प्रकार हैं:

डेढ़ दिन का विसर्जन: जो भक्त डेढ़ दिन के लिए गणपति रखते हैं, वे 28 अगस्त 2025, गुरुवार को विसर्जन कर सकते हैं।

तीसरे दिन का विसर्जन: तीसरे दिन का विसर्जन 29 अगस्त 2025, शुक्रवार को किया जाएगा।

पांचवें दिन का विसर्जन: आप 31 अगस्त 2025, रविवार को भी बप्पा को विदा कर सकते हैं।

सातवें दिन का विसर्जन: सातवें दिन का विसर्जन 2 सितंबर 2025, मंगलवार को करना शुभ रहेगा।

अनंत चतुर्दशी (10 दिन का विसर्जन): गणेश उत्सव का समापन 6 सितंबर 2025, शनिवार को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा।यह दिन विसर्जन के लिए सबसे मुख्य और पवित्र माना जाता है।

क्या है इन अलग-अलग दिनों का महत्व?

हर परिवार की अपनी परंपरा होती है। कुछ लोग डेढ़ दिन में ही विसर्जन इसलिए कर देते हैं, क्योंकि मान्यता है कि कैलाश पर्वत से माता पार्वती भी अपने मायके डेढ़ दिन के लिए ही आती थीं। वहीं, 10 दिनों तक गणपति की स्थापना को सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह उत्सव गणेश जी के जन्म से लेकर उनके बाल स्वरूप के विभिन्न पहलुओं का जश्न मनाता है। यह अवधि हमें सिखाती है कि जीवन में हर चीज़ अस्थायी है और एक दिन हमें भी उसी परमात्मा में विलीन हो जाना है

विसर्जन की सरल विधि

विसर्जन से पहले बप्पा की विधिवत पूजा और आरती करें। उन्हें फूल, दूर्वा, और उनके पसंदीदा मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद एक साफ कपड़े में मूर्ति को सम्मानपूर्वक उठाकर विसर्जन के लिए ले जाएं। "गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या" (गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ) के जयकारे के साथ उन्हें पवित्र जल में विसर्जित करें।[3] अगर आपके पास मिट्टी की मूर्ति है, तो आप उसे घर पर ही किसी बाल्टी या बड़े गमले में विसर्जित करके उस मिट्टी को अपने पेड़-पौधों में डाल सकते हैं।

याद रखें, विसर्जन का अर्थ बप्पा को हमसे दूर भेजना नहीं, बल्कि उनसे यह प्रार्थना करना है कि वे अगले साल फिर से हमारे जीवन में खुशियां लेकर आएं।

--Advertisement--