चांदी का भविष्य: क्या ₹2.40 लाख तक पहुंचेगी कीमत? निवेश करें या रुकें?
आजकल चांदी की कीमतों में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। पिछले 10 दिनों में ही चांदी करीब 28,000 रुपये तक सस्ती हो गई है। ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या अभी चांदी खरीदने का सही समय है, या आने वाले दिनों में कीमतें और गिरेंगी? चलिए, इस उलझन को दूर करते हैं और जानते हैं कि एक्सपर्ट्स इस बारे में क्या सोचते हैं।
2026 में चांदी बना सकती है नया रिकॉर्ड
बाजार के जानकारों का मानना है कि चांदी की कीमतों में यह गिरावट सिर्फ कुछ समय के लिए है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2026 के अंत तक चांदी का भाव 2.40 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकता है। इस बड़ी उछाल के पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। पहला, दुनिया भर में चांदी की सप्लाई घट रही है। दूसरा, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक कारों जैसी नई टेक्नोलॉजी में चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है।
पिछले सात सालों से वैश्विक बाजार में चांदी की सप्लाई में जो कमी देखी जा रही है, उसके अगले साल भी जारी रहने की उम्मीद है। यही वजह है कि इस बार की तेजी को पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।
क्यों बदल रहा है चांदी का मिजाज?
चांदी अब सिर्फ गहनों या पूजा-पाठ की चीज नहीं रह गई है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण इंडस्ट्रियल धातु और सुरक्षित निवेश का जरिया बन चुकी है। 2025 को चांदी के लिए एक अहम साल माना जा रहा है, क्योंकि भारत में निवेशक जमकर सिल्वर ईटीएफ (Silver ETF) में पैसा लगा रहे हैं।
इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत भी चांदी के भाव पर असर डाल रही है। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉलर-रुपये का एक्सचेंज रेट 90 के करीब पहुंच सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें बढ़ती हैं, तो कमजोर रुपये की वजह से भारतीय निवेशकों को और भी ज्यादा फायदा मिलेगा।
एक्सपर्ट्स की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रुपया धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है और आने वाले समय में 90 से 102 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में रह सकता है। यह सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि दुनियाभर की आर्थिक नीतियों का नतीजा है। सरल शब्दों में समझें तो, जब डॉलर में चांदी महंगी होगी और रुपया कमजोर होगा, तो भारत में चांदी में निवेश करने वालों को दोगुना लाभ मिलने की संभावना है।
उदाहरण के लिए, अगर 2027 तक चांदी की कीमत 70 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाती है और रुपया 92-95 प्रति डॉलर के स्तर पर रहता है, तो भारतीय निवेशकों को शानदार मुनाफा हो सकता है।
क्यों रहेगी चांदी की मांग मजबूत?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मीडियम टर्म में चांदी का भाव 2.40 लाख रुपये के आसपास टिक सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है चांदी की बढ़ती इंडस्ट्रियल मांग, जिसे पूरा करने के लिए उतनी तेजी से प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है। दुनिया में जितनी भी चांदी निकलती है, उसका 59% हिस्सा इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है, खासकर सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में। महंगाई, वैश्विक राजनीतिक तनाव और सीमित खनन भी चांदी की कीमतों को लगातार बढ़ा रहे हैं।
निवेशकों की नई पसंद बन रही है चांदी
भारत में अब लोग सोने के साथ-साथ चांदी को भी एक गंभीर निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं। इसका सबूत यह है कि 2025 में सिल्वर ETFs में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अगस्त 2025 में ही सिल्वर ETFs में निवेश 180% तक बढ़ गया।
हालांकि, सोने के मुकाबले सिल्वर ETFs अभी उतने लोकप्रिय नहीं हैं, लेकिन यह ट्रेंड बता रहा है कि लोग अब महंगाई और आर्थिक संकट से बचने के लिए चांदी को एक सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं। ये ETFs सीधे तौर पर असली चांदी पर आधारित होते हैं, जिससे आप बिना किसी झंझट के सुरक्षित तरीके से चांदी में पैसा लगा सकते हैं।
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