संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) की चार सदस्यीय बैलिस्टिक टीम ने सोमवार को मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। टीम ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सीन रिक्रिएशन किया और पत्थरबाजी व फायरिंग की घटनाओं का हर पहलू से अध्ययन किया।
तीन घंटे तक चली बारीकी से जांच
सुबह पहुंची FSL टीम ने सबसे पहले शाही जामा मस्जिद के पीछे के इलाके में सीन रिक्रिएशन शुरू किया। इसके बाद टीम कोतवाली पहुंची, जहां उन्होंने एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई से विस्तार से चर्चा की। टीम ने नखासा चौराहे और हिंदुपुरा खेड़ा क्षेत्र में भी हिंसा से जुड़े विभिन्न एंगल्स को समझने की कोशिश की।
प्रमुख जांच बिंदु:
- फायरिंग कोण और पत्थरबाजी:
टीम ने फायरिंग और पत्थरबाजी के कोणों का अध्ययन किया। इसके लिए लाइटिंग और एंगल्स का उपयोग किया गया। - सबूतों की सुरक्षा:
वीडियो और फोटोग्राफी के माध्यम से टीम ने हिंसा से जुड़े सभी साक्ष्य सुरक्षित किए। - सुरक्षा इंतजाम:
जांच के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। शाही जामा मस्जिद के आसपास की दुकानें बंद रहीं और पुलिस बल तैनात रहा।
एसपी के अनुरोध पर FSL टीम भेजी गई
एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने लखनऊ स्थित FSL निदेशक को हिंसा की गहन जांच के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद चार सदस्यीय बैलिस्टिक विशेषज्ञों की टीम को भेजा गया। टीम ने तीन घंटे तक हिंसा से जुड़े विभिन्न स्थानों पर जाकर साक्ष्य जुटाए और घटनाओं का विश्लेषण किया।
घटनाक्रम के खुलासे की उम्मीद
FSL टीम द्वारा जुटाए गए सबूतों और सीन रिक्रिएशन से हिंसा के असल गुनहगारों और साजिशकर्ताओं की पहचान होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में फायरिंग और पत्थरबाजी की दिशा और कोणों की भी विस्तृत जानकारी शामिल होगी।
विदेशी कारतूस से अंतरराष्ट्रीय साजिश का शक
जांच के दौरान FSL टीम को पाकिस्तान और अमेरिका निर्मित कारतूस मिले हैं। ये हिंसा के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की ओर इशारा करते हैं, जिससे मामले की गंभीरता बढ़ गई है।
पृष्ठभूमि: 24 नवंबर की हिंसा
24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। गोली लगने से चार युवकों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे। FSL टीम घायलों से भी मुलाकात करेगी और उनके घावों का अध्ययन करेगी।