दिल्ली चुनाव: लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया अलायंस के सहयोगी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चुनाव प्रचार में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी. 10 साल बाद बीजेपी ने सातों सीटें अपने नाम कीं. वहीं बीजेपी से मिली हार के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
कांग्रेस की AAP से नाराजगी
दिल्ली में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बुलाकर कई समीक्षा बैठकें की गईं. जिसमें खुलासा हुआ कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस उम्मीदवार के लिए वोट नहीं मांगा. आम आदमी पार्टी को उतना समर्थन नहीं मिला. इसके साथ ही आप को डर था कि विधानसभा चुनाव के दौरान उनके वोट कहीं कांग्रेस में न चले जाएं, जिससे गठबंधन कुछ हद तक कमजोर होता दिख रहा था.
दिल्ली में कांग्रेस की हार का कारण क्या है?
कांग्रेस की ओर से आयोजित समीक्षा बैठक में पार्टी के 90 नेताओं ने अपने विचार रखे. जिसमें ज्यादातर नेताओं का मानना था कि 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. इसके साथ ही दिल्ली लोकसभा सीट पर उतारे गए कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों ने भी आप से नाराजगी जताई. एक नेता के मुताबिक कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता पर आप के खिलाफ प्रचार करने का आरोप लगा है.
राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का AAP से गठबंधन, लेकिन स्थानीय स्तर पर साथ काम करना असंभव
इस समय कांग्रेस को दिल्ली में जीत के लिए कुछ भी करना होगा, लेकिन कांग्रेस आम आदमी पार्टी के खिलाफ गुस्से का फायदा उठाना चाहती है. वहीं, कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल से लेकर मनीष सिसौदिया तक की गिरफ्तारी से कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि आप के खिलाफ गुस्सा उनके उभार में और मददगार साबित होगा. कांग्रेस का साफ कहना है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन जरूर करेगी, लेकिन स्थानीय स्तर पर साथ मिलकर काम करना संभव नहीं है.
नतीजों के तुरंत बाद ख़त्म हो गई दोस्ती!
हालांकि, लोकसभा नतीजों के बाद कांग्रेस की रणनीति पर नजर डालें तो साफ है कि कांग्रेस पिछले काफी समय से आम आदमी पार्टी के खिलाफ है. चाहे दिल्ली की व्यवस्था में जलजमाव की समस्या हो, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल और मंत्रियों आतिशी-सौरभ पर हमले हों या कोई अन्य मुद्दा, हर जगह कांग्रेस और आप के बीच अब दोस्ती नहीं रही.
इतने विरोध के बाद भी कांग्रेस यहां समर्थन कर सकती है
फिलहाल नगर पालिका को लेकर कांग्रेस और आप के बीच आपसी सहमति बनेगी। वहीं, आम आदमी पार्टी बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है. ऐसे में उनका राजनीतिक भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि दिल्ली की जनता कांग्रेस और आप की दोस्ती को किस तरह से देखती है.