उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 के दस्तावेज़ सत्यापन (DV) और शारीरिक मानक परीक्षण (PST) प्रक्रिया के दौरान फर्जीवाड़े के तीन अलग-अलग मामले सामने आए हैं। इन मामलों में फर्जी दस्तावेज़, बदले हुए नाम और जन्मतिथि का उपयोग कर परीक्षा प्रक्रिया में शामिल होने का प्रयास किया गया।
गोरखपुर: बदली पहचान और फर्जी दस्तावेज़ का मामला
- अभ्यर्थी: कुश कुमार (वास्तविक नाम: लवकुश कुमार)।
- जन्मतिथि: असली जन्मतिथि 20.02.1993 को छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत किए।
- पकड़ने का तरीका: आधार ई-केवाईसी और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़ा गया।
- कार्यवाही:
- थाना कैंट, गोरखपुर में केस दर्ज।
- आरोपी को गिरफ्तार कर कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई।
गौतम बुद्ध नगर: नाम और प्रमाणपत्र बदलकर फर्जीवाड़ा
- अभ्यर्थी: वास्तविक नाम अरविंद कुमार, फर्जी नाम अभय सिंह।
- धोखाधड़ी का तरीका:
- 10वीं और 12वीं की परीक्षा के फर्जी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए।
- आरक्षी पीएसी के पद पर नियुक्ति के लिए पंजीकरण किया।
- पकड़ने का तरीका:
- बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन (E-KYC/आयरिस स्कैन) में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
- कार्यवाही:
- आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
- विधिक कार्रवाई जारी है।
श्रावस्ती: महिला अभ्यर्थी का कूट रचित प्रवेश पत्र
- अभ्यर्थी: ऋचा सिंह।
- घटना का विवरण:
- पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान फर्जी प्रवेश पत्र प्रस्तुत किया।
- प्रवेश पत्र में अंकित रोल नंबर दूसरे अभ्यर्थी का पाया गया।
- पकड़ने का तरीका:
- पुलिस लाइंस भिनगा में अभिलेखों की जांच के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया।
- कार्यवाही:
- आरोपी महिला को रोडवेज बस स्टेशन भिनगा से गिरफ्तार किया गया।
- फर्जी दस्तावेज़ों के उपयोग पर केस दर्ज।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सख्त कदम
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती प्रक्रिया में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और ई-केवाईसी जैसे सख्त प्रावधानों का उपयोग फर्जीवाड़ा रोकने में मददगार साबित हो रहा है।
- तकनीकी निगरानी:
- आधार आधारित ई-केवाईसी और बायोमेट्रिक जांच।
- प्रमाणपत्रों और दस्तावेज़ों का विस्तृत सत्यापन।
- अधिकारियों का बयान:
- भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं।
- फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।