इमरान खान के पास अपने राजनीतिक करियर को बनाए रखने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। इमरान खान जानते हैं कि अगर उन्हें जेल से निकलकर सत्ता के शिखर तक पहुंचना है तो सेना ही एकमात्र रास्ता है। लिहाजा, इमरान खान ने सेना पर अपना रुख नरम कर लिया है और अब वह सेना से बातचीत के लिए तैयार हैं.
करीब एक साल से जेल में बंद इमरान खान कुछ ही दिनों में रिहा हो जाएंगे. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री एक बार फिर सत्ता में आ सकते हैं. क्रिकेट की पिच पर अपना लोहा मनवाने वाले इमरान खान एक बार फिर सियासी पिच पर वापसी कर सकते हैं, कभी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बयानबाजी करने वाले इमरान खान अब सेना से बात करने को तैयार हैं.
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में सत्ता के शिखर पर वही लोग हैं जिन्हें सेना का समर्थन हासिल है. माना जाता है कि पाकिस्तान में इमरान खान की ताकत तभी खराब हुई जब तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बाजवा के साथ रिश्ते खराब हुए. सरकार जाते ही इमरान खान की मुश्किलें बढ़ गईं.
सेनाध्यक्ष मुनीर को नियाज़ी की पेशकश
पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के बावजूद नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो की पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई. नई सरकार ने न केवल उन्हें जेल में डाल दिया बल्कि उनकी पार्टी को भी ख़त्म करने की कोशिश शुरू कर दी. ऐसे में इमरान खान के पास अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है. इमरान जानते हैं कि अगर उन्हें जेल से निकलकर सत्ता के शिखर तक पहुंचना है तो सेना ही एकमात्र रास्ता है. लिहाजा, इमरान खान ने सेना पर अपना रुख नरम कर लिया है और अब बातचीत के लिए तैयार हैं, हालांकि इमरान ने इसके लिए 3 बड़ी शर्तें रखी हैं.
1. पीटीआई का चोरी हुआ मैंडेट बरामद किया जाए
2. हिरासत में लिए गए सभी पीटीआई कार्यकर्ताओं की रिहाई
3. पाकिस्तान में पारदर्शी चुनाव कराए जाएं
इमरान खान सेना पर नरम पड़ गए हैं
इमरान खान ने इस बातचीत की जिम्मेदारी विपक्षी नेता महमूद खान अचकजई को सौंपी है. इससे पहले भी इमरान खान ने अपनी बहन अलीमा और पार्टी नेता उमर अयूब के जरिए आर्मी चीफ असीम मुनीर को संदेश भेजा था. दोनों ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा कि शाहबाज सरकार सेना, पीटीआई और जनता को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही है. ये बयान न सिर्फ शाहबाज सरकार के खिलाफ था, बल्कि सेना के प्रति भी नरम था. इमरान खान ने इशारे से यह संदेश दिया कि वह सेना के खिलाफ नहीं हैं.
पिछले मंगलवार (30 जुलाई) को जेल में मीडिया से बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान को मौजूदा संकट से बचाया जा सकता है क्योंकि सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के जरिए सत्ता में आएगी। इमरान खान ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी ने कभी भी सेना की आलोचना नहीं की है.
पीएमएल-एन को इमरान का ये बयान पसंद नहीं आया
नवाज की पार्टी की नेता मरियम औरंगजेब ने इमरान खान के बयान पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि जो लोग खुद को स्वयंभू क्रांतिकारी कहते थे और कभी माफी नहीं मांगने का दावा करते थे, वे अब सेना से बातचीत करना चाह रहे हैं. पीएमएल-एन के एक अन्य नेता और पाकिस्तान सरकार के मंत्री अट्टा तरार ने भी इमरान खान के इस बयान पर विरोध जताया है. तरार ने इसे देश के खिलाफ साजिश बताया है.
पीपीपी के सुर नवाज की पार्टी से अलग हैं
लेकिन पाकिस्तान सरकार में शामिल बिलावल भुट्टो की पार्टी इमरान खान को लेकर अलग राय रखती है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि अगर इमरान खान और उनकी पार्टी बात करना चाहती है तो वह इसके लिए तैयार हैं.
पीएमएल-एन देश में वित्तीय संकट का प्रबंधन करने में विफल रही
इसके अलावा उनके पिता और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पिछले कुछ दिनों से शाहबाज सरकार पर हमलावर हैं. उन्होंने पाकिस्तान के आर्थिक संकट के लिए शहबाज सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पीएमएल-एन देश में वित्तीय संकट का प्रबंधन करने में विफल रही है। इतना ही नहीं जरदारी ने एक इंटरव्यू में कहा कि हम जानते हैं कि सरकारें कैसे बनती हैं और कैसे गिरती हैं। उनके लगातार बयानों से अटकलें लगने लगीं कि शहबाज शरीफ की पीएमएलएन और भुट्टो की पीपीपी के बीच चीजें ठीक नहीं चल रही हैं। ऐसे में इमरान खान का सेना को बातचीत के लिए बुलाना पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन का संकेत हो सकता है.