पूर्व विधायक मलिंगा को मिली जमानत रद्द, 30 दिन में सरेंडर करने के आदेश

जयपुर, 5 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने बिजली कंपनी के एईएन से मारपीट और एससी-एसटी केस से जुडे मामले में पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को मिली जमानत को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मलिंगा को तीस दिन में सरेंडर करने को कहा है। जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश पीडित एईएन हर्षाधिपति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने याचिका पर गत 15 मार्च को पक्षकारों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने माना कि मलिंगा ने अदालत से मिली जमानत का दुरुपयोग किया है। अदालत ने 17 मई, 2022 को मलिंगा को प्रकरण में जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे।

याचिका में अधिवक्ता अजय कुमार जैन ने बताया कि 29 मार्च, 2022 को बाडी थाने में स्थानीय विधायक मलिंगा और उनके समर्थकों के खिलाफ याचिकाकर्ता पर हमला और मारपीट का मामला दर्ज किया था। घटना में मलिंगा सहित अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत दी गई। जमानत मिलने के बाद उसने याचिकाकर्ता को धमकाया और जुलूस निकाल कर कानून का मजाक उडाया। इसके अलावा मलिंगा ने अदालत में गलत तथ्य पेश कर जमानत ली है। मलिंगा के खिलाफ गवाह को धमकाने को लेकर एफआईआर भी दर्ज हुई है। याचिकाकर्ता घटना के बाद से अस्पताल में भर्ती है। ऐसे में आरोपी को मिली जमानत को रद्द किया जाए। वहीं सरकारी वकील शेरसिंह महला ने भी याचिकाकर्ता के तथ्यों पर सहमति जताते हुए आरोपी की जमानत रद्द करने की गुहार की। जिसका विरोध करते हुए मलिंगा की ओर से कहा गया कि उस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और उसे मिली जमानत का दुरुपयोग नहीं किया है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को मिली जमानत को रद्द कर उसे सरेंडर करने को कहा है। गौरतलब है कि मलिंगा के खिलाफ याचिकाकर्ता ने मार्च 2022 में मारपीट व एससी-एटी एक्ट में केस दर्ज कराया था। इसमें मलिंगा पर आरोप लगाया था कि विभाग के ऑफिस में मीटिंग के दौरान मलिंगा और उनके साथ 5-6 लोग आए और उन्होंने उनके साथ मारपीट की। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया।