सीईओ के. रवि कुमार से मिले पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर, सौंपा ज्ञापन

पलामू, 27 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने शनिवार को झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि से मिलकर एक लिखित ज्ञापन देते हुए पलामू संसदीय क्षेत्र के उग्रवाद प्रभावित जंगलों, पहाड़ाें के मतदाताओं का शत प्रतिशत मतदान सुुनिश्चित कराने का अनुरोध किया है। विगत सप्ताह पूर्व मंत्री किशोर ने छतरपुर विधानसभा क्षेत्र के अतिउग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के चिपो, बतसपुर, रजडेरवा, बुढ़ी, बुक्का, चेतमा रतनाग, सीढा, कवल, भितिहरवा, डगरा, रिसियप्पा आदि गावों का भ्रमण किया था।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को बताया कि रतनाग, सहियार, झडवा छाड़न, पाल्हे पथरा, मतनाग आदि अन्य कई गांव के मतदाताओं को वर्तमान लोकसभा चुनाव के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है।

वर्तमान लोकसभा चुनाव में शत प्रतिशत मतदान के लिए चुनाव आयोग द्वारा ‘स्वीप’ जैसे कई प्रशंसनीय कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, परंतु पलामू संसदीय क्षेत्र के घोर उग्रवाद प्रभावित गांव के मतदाताओं को वर्तमान लोकसभा चुनाव की विस्तृत जानकारी नहीं हो पाना लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यजनक है।

किशोर ने सीईओ को ज्ञापन के माध्यम से बताया कि पूर्व में उग्रवादी संगठनों द्वारा चुनावी प्रक्रिया का घोर बहिष्कार किया जाता रहा है। राजनैतिक संगठनों द्वारा चुनाव प्रचार किया जाना पूर्णतः प्रतिबंधित रहता है। प्रचार करते हुए पकड़े जाने पर प्रचार वाहनों में आग लगा दी जाती थी। वोट में भाग लेने वाले मतदाताओं के विरूद्ध हिंसक कार्रवाई की जाती थी। चुनाव कार्य में भाग लेने वाले कई पुलिस-मतदानकर्मियांे को अपनी जानों की भी आहुति देनी पड़ी है, परंतु अब परिस्थितियां बदली है। उग्रवाद प्रभावित मतदान केन्द्रों के मतदाता मतदान करना चाहते हैं, परंतु मतदाताओं के समक्ष कई कठिनाईयां भी है, जैसे छतरपुर विधानसभा के मतदान केन्द्र संख्या 335 (हरनी) के अंतर्गत पाल्हे पथरा के मतदाताओं को लगभग 8 किमी की दूरी तय कर हरनी मतदान केन्द्र पर जाना पड़ेगा। मतदान केन्द्र संख्या 106 (हुलसम) के अंतर्गत पड़ने वाले चिपो, बसंतपुर तथा रजडेरवा गांव के मतदाताओं को लगभग 8 किमी की दूरी तय कर हुलसम मतदान केन्द्र जाना पड़ेगा।

इसी तरह मतदान केन्द्र संख्या 277 (बुका) के अंतर्गत पड़ने वाला चेतमा तथा बुढ़ी गांव के मतदाताओं को लगभग 3-4 किमी की दूरी तय कर बुका मतदान केन्द्र पर जाना पड़ेगा। ऐसे दुर्गम मतदान केन्द्रांे को चिन्हित कर मतदाताओं को मतदान केन्द्र तक पहुंचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा व्यवस्था करने की आवश्यकता है, ताकि उग्रवाद प्रभावित सुदूरवर्ती तथा दुर्गम क्षेत्र के मतदाता लोकतंत्र के महान पर्व में भाग ले सके। उक्त प्रकार की व्यवस्था से उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी और लोकतंत्र की जड़े भी मजबूत हो सकेंगी।