‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में चर्चाओं का दौर जारी है। इसी क्रम में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) उदय उमेश ललित समिति के सामने पेश हुए। हालाँकि, बैठक में हुई विस्तृत चर्चाओं को सार्वजनिक नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि पूर्व CJI ने विधेयक के कानूनी पहलुओं और संभावित चुनौतियों को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
कानूनी पहलुओं पर पूर्व CJI की राय
रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व CJI ललित ने समिति के समक्ष पूरी चुनावी प्रक्रिया को चरणबद्ध रूप से लागू करने पर जोर दिया।उन्होंने विधानसभा कार्यकाल को घटाने से जुड़ी कानूनी चुनौतियों पर आगाह किया।उन्होंने JPC को एक साथ चुनाव कराने के कानूनी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श करने की सलाह दी।बैठक में करीब 3 घंटे तक चर्चा चली।
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पूर्व विधि आयोग अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी के विचार
भारतीय विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने भी JPC के समक्ष अपने विचार रखे।
उन्होंने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा।अवस्थी ने स्पष्ट किया कि यह प्रस्ताव संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करता।उन्होंने कहा कि संविधान (129वां संशोधन) विधेयक में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक सभी प्रावधान मौजूद हैं।
अन्य विशेषज्ञों की भागीदारी
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति के सचिव, आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद ई.एम. सुदर्शन नचियप्पन भी समिति के समक्ष पेश हुए।हालांकि, समय की कमी के कारण वे अपने विचार पूरी तरह साझा नहीं कर सके और उम्मीद है कि आगे की बैठकों में वे अपनी राय देंगे।
संसदीय समिति की अब तक की प्रगति
JPC ने अब तक दो बैठकें की हैं, जिसमें अपने एजेंडे का व्यापक विवरण तैयार किया है।
परामर्श के लिए हितधारकों और विशेषज्ञों की सूची बनाई गई है।मंगलवार की बैठक में भी इस विधेयक पर गहन विचार-विमर्श किया गया।