"'नेट-ज़ीरो' से काम नहीं चलेगा, अब 'नेट-नेगेटिव' बनो!" अमीर देशों को जलवायु परिवर्तन पर भारत का कड़ा संदेश
ऐसे समय में जब दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं, भारत ने विकसित और अमीर देशों को आईना दिखाते हुए एक बड़ी और साहसिक मांग की है। भारत ने कहा है कि अब सिर्फ 'नेट-ज़ीरो' उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि अमीर देशों को अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी समझते हुए 'नेट-नेगेटिव' उत्सर्जन (Net-Negative Emissions) का लक्ष्य रखना होगा।
ब्राजील में होने वाले महत्वपूर्ण COP30 जलवायु सम्मेलन से पहले आयोजित एक बैठक में, ब्राजील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने दुनिया के बड़े और अमीर देशों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई। उन्होंने साफ कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई इसलिए कमजोर पड़ रही है, क्योंकि विकसित देश अपनी हिस्सेदारी का योगदान नहीं कर रहे हैं।
"आपने कार्बन बजट हड़प लिया, अब जिम्मेदारी उठाएं"
राजदूत भाटिया ने दो टूक शब्दों में कहा, "एक तरफ विकासशील देश जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विकसित देश, जिन्होंने वैश्विक कार्बन बजट (Global Carbon Budget) को अनुपातहीन तरीके से हड़प लिया है, उन्हें अब अपने उत्सर्जन में तेजी से कटौती करनी चाहिए।"
उन्होंने मांग की, "जिस तेजी से कार्बन बजट खत्म हो रहा है, उसे देखते हुए अमीर देशों को अपने घोषित समय से बहुत पहले 'नेट-ज़ीरो' तक पहुंचना होगा और 'नेट-नेगेटिव' बनने के लिए पर्याप्त निवेश करना होगा।"
क्या है यह 'नेट-ज़ीरो' और 'नेट-नेगेटिव'?
इसे सरल भाषा में समझते हैं:
- नेट-ज़ीरो (Net-Zero): यह एक ऐसी स्थिति है जब कोई देश हवा में जितनी ग्रीनहाउस गैस छोड़ता है, उतनी ही गैस को सोख भी लेता है। यह सोखने का काम जंगल लगाकर या फिर नई टेक्नोलॉजी (कार्बन कैप्चर) के जरिए किया जा सकता है। यानी, हिसाब बराबर।
- नेट-नेगेटिव (Net-Negative): यह नेट-ज़ीरो से एक कदम आगे की स्थिति है। इसमें कोई देश जितनी गैस छोड़ता है, उससे कहीं ज़्यादा गैस को सोखने का काम करता है। यानी, पुरानी गंदगी की भी सफाई शुरू करना।
अभी तक दुनिया का लक्ष्य 2050 तक नेट-ज़ीरो बनना है। चीन ने 2060 और भारत ने 2070 तक का लक्ष्य रखा है। लेकिन किसी भी देश ने अभी तक 'नेट-नेगेटिव' बनने की बात नहीं कही है। भारत की यह मांग अमीर देशों पर एक नैतिक और व्यावहारिक दबाव बनाने की एक बड़ी कोशिश है।
भारत ने गिनाईं अपनी उपलब्धियां
भारत ने यह मांग सिर्फ खोखले आधार पर नहीं की, बल्कि अपनी उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया:
- लक्ष्य से पहले काम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अपने कई जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले ही हासिल कर लिया है। 2005 के मुकाबले हमारी उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी आई है।
- हरित ऊर्जा में आगे: हमारी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50% से अधिक हिस्सा अब गैर-जीवाश्म ऊर्जा (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) से आता है।
- बढ़ाया जंगल का दायरा: भारत ने न सिर्फ अपने जंगलों को बचाया है, बल्कि उन्हें बढ़ाया भी है। देश का 25.17% हिस्सा अब वन और पेड़ों से ढका है।
- दुनिया में तीसरे नंबर पर: भारत अब लगभग 200 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादक देश है।
भारतीय राजदूत ने स्पष्ट किया कि भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में हर देश के साथ मिलकर काम करने को तैयार है, लेकिन यह लड़ाई निष्पक्ष और न्यायसंगत होनी चाहिए, जिसमें अमीर देश अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते।
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