सरकार के फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) में इस वित्त वर्ष (अप्रैल-नवंबर 2024) के दौरान कमी आई है। वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 4.9% तय किया गया था, और मौजूदा आंकड़े इस लक्ष्य के अंदर रहने की उम्मीद दिखा रहे हैं। हालांकि, इस दौरान सरकार के पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
फिस्कल डेफिसिट और पूंजीगत खर्च की स्थिति
- अप्रैल-नवंबर के दौरान फिस्कल डेफिसिट:
- ₹8.5 लाख करोड़ रहा, जो पूरे वित्त वर्ष के ₹16.13 लाख करोड़ के लक्ष्य का लगभग 50% है।
- पूंजीगत खर्च में गिरावट:
- ₹5.1 लाख करोड़, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12% कम है।
- FY25 में तय ₹11.11 लाख करोड़ के पूंजीगत खर्च लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना कम है।
- सरकार का कुल खर्च:
- केवल 3.3% बढ़कर ₹27.4 लाख करोड़ रहा, जो पिछले एक दशक में सबसे धीमी वृद्धि है।
कैपिटल एक्सपेंडिचर टारगेट से 20% कम रह सकता है
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, FY25 में पूंजीगत खर्च तय लक्ष्य से 20.2% कम रहने का अनुमान है।
- चुनावी वर्ष का प्रभाव:
- लोकसभा चुनाव के समय आमतौर पर सरकारी खर्च में कमी देखने को मिलती है।
- हालांकि, वर्तमान में खर्च में यह कटौती ऐसे समय पर आई है जब अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ाने की जरूरत है।
कैपिटल एक्सपेंडिचर में कमी और इकोनॉमी पर असर
- GDP ग्रोथ पर प्रभाव:
- FY25 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% रह गई, जो पिछले 7 तिमाहियों में सबसे कम है।
- इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि सरकार के पूंजीगत खर्च में कमी इसका प्रमुख कारण हो सकता है।
- कंजम्प्शन पर असर:
- पूंजीगत खर्च में कटौती से बुनियादी ढांचे के निर्माण और रोजगार सृजन की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
- कंजम्प्शन (खपत) में कमी से इकोनॉमिक ग्रोथ प्रभावित हो सकती है।
इकोनॉमिस्ट्स की सलाह: कंजम्प्शन बढ़ाने पर जोर
24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में, इकोनॉमिस्ट्स ने कंजम्प्शन बढ़ाने के उपाय सुझाए।
- CII (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री):
- ₹20 लाख सालाना आय तक के लोगों पर टैक्स का बोझ घटाने की सलाह दी।
- कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया।
- अन्य सुझाव:
- बुनियादी ढांचे और ग्रामीण विकास पर खर्च बढ़ाने की जरूरत।
- छोटे और मझोले उद्योगों को राहत देने के उपाय।
क्या पूंजीगत खर्च में कमी इकोनॉमी के लिए सही है?
फायदे:
- फिस्कल डेफिसिट नियंत्रित रहता है, जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत होती है।
- महंगाई पर लगाम लगाई जा सकती है।
नुकसान:
- पूंजीगत खर्च में कटौती से बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- इससे खपत और मांग में कमी आ सकती है, जो GDP ग्रोथ को धीमा कर सकती है।