देशभर में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से जुड़े दो विधेयकों पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की पहली बैठक बुधवार को हुई। बैठक में कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक देश, एक चुनाव की व्यावहारिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने चुनावी खर्च, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की संख्या और इस प्रक्रिया के संविधान के मूल ढांचे से मेल खाने पर चिंताएं जाहिर कीं।
प्रियंका गांधी के सवाल
सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी ने पूछा कि क्या एक साथ चुनाव कराना आर्थिक रूप से संभव है और इस अभियान पर कितना खर्च आएगा। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इसके लिए कितनी EVMs की आवश्यकता होगी और उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने में कितना समय लगेगा।
संविधान के मूल ढांचे का मुद्दा
बैठक में कांग्रेस के एक अन्य सांसद ने तर्क दिया कि एक देश, एक चुनाव संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने 1973 के केशवानंद भारती मामले का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे, जिसमें लोकतंत्र, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता शामिल हैं, को अपरिवर्तनीय माना है।
समिति की संरचना
39 सदस्यीय JPC की अध्यक्षता भाजपा सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं, जो पूर्व कानून राज्य मंत्री रह चुके हैं। समिति में कांग्रेस से प्रियंका गांधी, जद (यू) से संजय झा, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस से कल्याण बनर्जी जैसे प्रमुख सदस्य शामिल हैं।
विधायिका के मसौदे पर चर्चा
बैठक में विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर विस्तृत जानकारी दी। सभी सदस्यों को 18,000 पन्नों की रिपोर्ट एक सूटकेस में दी गई, जो समिति की गहन पड़ताल और विचार-विमर्श का हिस्सा होगी।
विधेयक की पृष्ठभूमि
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश विधि (संशोधन) विधेयक को हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था और JPC को भेजा गया। सरकार ने समिति की सदस्य संख्या 31 से बढ़ाकर 39 कर दी है ताकि अधिक राजनीतिक दल इस महत्वपूर्ण चर्चा में भाग ले सकें।
आगे की दिशा
यह बैठक एक देश, एक चुनाव पर व्यापक विचार-विमर्श की शुरुआत है। समिति द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट इस मुद्दे पर संसद और देश की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।