नई दिल्ली, 27 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी सरकार पर उसके लापरवाह वित्तीय कुप्रबंधन के लिए तीखा हमला किया है। उन्होंने दिल्ली को अभूतपूर्व ऋण संकट में धकेलने का आरोप लगाया है । केंद्र से 10 हजार करोड़ रुपये का ऋण लेने का सरकार का फैसला विधानसभा चुनावों से पहले अपनी अक्षमताओं को छिपाने और गैर-जिम्मेदाराना वादों को पूरा करने के उसके खतरनाक प्रयासों को दर्शा रहा है। गुप्ता ने इस संबंध में मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे पत्र में राज्य के खजाने की गिरती वित्तीय सेहत पर गंभीर चिंता जताई है ।
उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए अपने बुनियादी वित्तीय दायित्वों के निर्वहन और बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी योजनाओं को पूरा करने के लिए इस तरह से बाहरी स्रोतों से ऋण लेने के खतनाक परिणामों से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया । पत्र में गुप्ता ने सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें उन्होंने केजरीवाल के सरकारी आवास ‘शीश महल’ और इस्तेमाल न होने वाली स्कूल की बिल्डिंगों पर बेतहाशा खर्च की और फाइनेंशियल मिस-मैनेजमेंट की उपेक्षा की बात कही है।
गुप्ता ने कहा कि इस तरह से कर्ज लेने से यह प्रमाणित हो गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के पास अपनी तथाकथित ‘रेवड़ियों’ की फंडिंग के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। सरकार अपने खाली हो चुके खाते में से एक ब्लैंक चेक इश्यू कर रही है। सरकार की इस नासमझी का खामियाजा शहर के लाखों लोगों को भुगतना पड़ेगा । गुप्ता ने दिल्ली की बिगड़ती वित्तीय सेहत की तुलना हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक से की, जहां मुफ्त की सुविधाओं और रेवड़ियों ने विकास को गंभीर रूप से बाधित किया है और सार्वजनिक संसाधनों पर बोझ डाला है।
गुप्ता ने आआपा सरकार पर सरप्लस फंड वाले दिल्ली राज्य को वित्तीय आपदा के कगार पर लाने के लिए आलोचना की है । किसी समय अपने राजकोष के उत्तम इस्तेमाल के लिए पहचाने जाने वाले दिल्ली को अब 1993 के बाद से पहली बार अपने पहले राजस्व घाटे का सामना करना पड़ रहा है, जो आआपा की वित्तीय लापरवाही का प्रत्यक्ष परिणाम है।
गुप्ता ने कहा कि आआपा सरकार 10 हजार करोड़ ऋण लेकर अपनी चुनावी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली को कर्ज के भंवर में फंसाने का प्रयास कर रही है। आआपा के कार्यकाल में दिल्ली की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गई है। बढ़ते राजस्व व्यय, बजट से बाहर की परियोजनाएं और राजकोषीय सुधार की रूपरेखा की कमी ने शहर को दीर्घकालिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया है। दशकों में पहली बार, सरकार का व्यय उसकी प्राप्तियों से अधिक होने वाला है, जो वित्तीय स्थिति के बिगड़ने की ओर इशारा कर रहा है। गुप्ता ने कहा कि सरकार बुनियादी वित्तीय जिम्म्दारियों को भी पूरा करने में नाकाम हो गई है जैसे कि अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन न देना। यह इसके प्रशासनिक पतन का सबूत है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्सर की सभी परियोजनाएं रुकी हुई हैं, जबकि शहर की आर्थिक नींव दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है।