नाबालिग बेटी के साथ रेप के मामले में पिता दोषी करार, सजा पर 24 मई को सुनवाई

नई दिल्ली, 14 मई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी 10 वर्षीय बेटी के साथ दो वर्षों तक रेप करने के आरोपित को दोषी करार दिया है। जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच सजा की अवधि पर 24 मई को सुनवाई करेगी।

कोर्ट ने कहा कि पीड़ित लड़की ने सोचा होगा कि उसे अपने पिता की गोद में एक आश्रय मिलेगा लेकिन उसे इस बात का अहसास नहीं था कि वह एक राक्षस है। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से आरोपित को बरी करने के आदेश को निरस्त करते हुए उसे दोषी करार दिया। कोर्ट ने आरोपित को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता की धारा 506 और धारा 323 के तहत दोषी करार दिया।

घटना 19 जनवरी, 2013 की है, जब एक 12 वर्षीय लड़की पटेल नगर पुलिस थाने पहुंची और अपनी आपबीती बताई। पीड़ित लड़की के मुताबिक उसके पिता ने उसके साथ दो वर्षों तक रेप किया। उसका पिता 18 जनवरी, 2013 को शराब के नशे में धुत था। जब उसकी मां घर लौटी तो उसके पिता ने गाली-गलौच की। दूसरे दिन उसके भाई की भी पिटाई की गई, जिसके बाद पीड़िता थाने पहुंची।

मामले की सूचना देने में देरी के आधार पर ट्रायल कोर्ट की ओर से आरोपित को बरी करने के मामले पर हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान पर संदेह की कोई वजह नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले के तीन गवाहों के बयान पूरी घटना को बयां कर देते हैं। हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया कि ये सुनियोजित केस है।

पीड़ित लड़की के मुताबिक उसके मां-बाप सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। एक दिन उसके पिता की नौकरी नहीं थी और उसकी मां ड्यूटी पर गई थी और उसका भाई स्कूल गया हुआ था। उस दिन उसके पिता ने उसे स्कूल जाने से रोक दिया। पिता ने पीड़िता को अपने बगल में बुलाकर सुलाया और उसके निजी अंगों को छूने लगा, जिसका उसने विरोध किया। विरोध करने पर पिता ने उसे डांट दिया। उसने ये घटना अपनी मां को बताई, जिसके बाद मां ने पिता से पूछा। तब पिता ने मां को भी डांट दिया। पिता ने लड़की को इस बात के लिए डांटा कि वो हर बात अपनी मां से क्यों बताती है। उसके बाद उसके पिता उसका यौन शोषण करते रहे। इस मामले में अभियोजनपक्ष ने 13 गवाहों के बयान दर्ज कराए थे।