दस किसान संगठनों द्वारा 10% भूखंड और अन्य मांगों को लेकर किए गए दिल्ली कूच के आह्वान ने किसानों के बीच फूट डाल दी है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता सोशल मीडिया पर लाइव आकर दिल्ली कूच न करने की बात कह रहे हैं, जबकि नौ अन्य किसान संगठन अब भी दिल्ली कूच कर गिरफ्तारी देने पर अड़े हुए हैं।
पुलिस कार्रवाई के बीच आंदोलन जारी
शुक्रवार को भी परी चौक पर पचास से अधिक किसान और महिलाएं दिल्ली कूच का प्रयास कर रही थीं, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इससे पहले, 2 दिसंबर को दिल्ली कूच के दौरान 123 किसानों को गिरफ्तार किया गया था।
संयुक्त किसान मोर्चा का दिल्ली कूच का आह्वान
संयुक्त किसान मोर्चा ने 25 नवंबर को ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के दफ्तर पर धरना देने के बाद 2 दिसंबर को दिल्ली कूच का ऐलान किया था। हालांकि, दिल्ली कूच की कोशिशों के दौरान किसानों की लगातार गिरफ्तारियां हुईं, जिससे आंदोलन और उग्र हो गया।
3 दिसंबर को यमुना के जीरो पॉइंट पर प्रस्तावित पंचायत में शामिल होने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत को बुलाया गया था। लेकिन टप्पल में पुलिस ने उन्हें रोक दिया, और वह पंचायत में शामिल नहीं हो सके।
पंचायत और आगे की रणनीति
4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक और पंचायत कर आगे की रणनीति तय करने का निर्णय लिया। हालांकि, देर रात धरना स्थल पर मौजूद किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस कार्रवाई के बाद किसान और अधिक नाराज हो गए और अब रोजाना दिल्ली कूच कर गिरफ्तारी दे रहे हैं।
BKU का रुख अलग, आंदोलन पर फूट
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पवन खटाना ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहा कि सरकार ने सात दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने और वार्ता का रास्ता खोलने का आश्वासन दिया है। इसलिए, उन्होंने किसानों से धैर्य बनाए रखने की अपील की।
वहीं, दूसरी ओर, संयुक्त किसान मोर्चा के नौ संगठनों ने अपनी मांगों, जैसे गिरफ्तार किसानों की रिहाई और 10% भूखंड के आवंटन, को लेकर आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है।
दिल्ली कूच पर बनी असहमति
किसानों के बीच मतभेद स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आए हैं। जहां एक ओर भारतीय किसान यूनियन बातचीत का रास्ता अपनाने और दिल्ली कूच से दूरी बनाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर, संयुक्त किसान मोर्चा के नौ संगठन आंदोलन को जारी रखकर सरकार पर दबाव बनाए रखना चाहते हैं।
आंदोलन की वर्तमान स्थिति
- गिरफ्तारी का सिलसिला: हर दिन किसान दिल्ली कूच का प्रयास कर रहे हैं और गिरफ्तारियां हो रही हैं।
- सरकार का रुख: सरकार ने सात दिनों में जांच पूरी करने और बातचीत का आश्वासन दिया है।
- फूट के संकेत: BKU आंदोलन से पीछे हट रहा है, जबकि अन्य संगठन डटे हुए हैं।
आगे क्या?
किसानों का यह आंदोलन न केवल सरकार के लिए एक चुनौती है, बल्कि आंदोलनकारी संगठनों के बीच आपसी समन्वय की कमी भी सवालों के घेरे में है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह आंदोलन भविष्य में किस दिशा में जाता है और क्या सरकार और किसानों के बीच किसी समाधान पर सहमति बन पाती है।