फरहाना को बिना ठोस सबूत गिरफ्तार किया, 87 दिन बाद जेल से हुई रिहा

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संभल हिंसा मामले में 48 वर्षीय फरहाना को 26 नवंबर को पुलिस पर पत्थर फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 87 दिन जेल में बिताने के बाद आखिरकार उन्हें रिहा कर दिया गया। जांच में सामने आया कि फरहाना का वजन लगभग 120 किलोग्राम है और वह उस छत तक चढ़ने में सक्षम नहीं थी, जहां से पत्थरबाजी हुई थी।

हिंसा के बाद पुलिस ने फरहाना पर कई गंभीर धाराएं लगाई थीं, जिनमें दंगा, हत्या के प्रयास, पुलिस पर हमला और सार्वजनिक आदेशों की अवहेलना जैसे आरोप शामिल थे। लेकिन स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की जांच में पता चला कि सोशल मीडिया पर वायरल फुटेज में दिख रही महिला पतली थी, जबकि फरहाना का शरीर भारी था। साथ ही, यह भी सामने आया कि उनकी पड़ोसी जिकरा ने पुरानी दुश्मनी के कारण उन्हें झूठे केस में फंसा दिया था।

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कैसे हुई फरहाना की गिरफ्तारी?

फरहाना को 26 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और वह लगभग तीन महीने तक जेल में रहीं। जांच के दौरान पता चला कि फरहाना को गलत पहचान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।

SIT के सदस्य और सर्कल अधिकारी कुलदीप कुमार ने बताया:

“फरहाना को गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसे पत्थर फेंकने वाली महिलाओं में से एक के रूप में पहचाना गया था। लेकिन बाद में स्थानीय लोगों ने हलफनामे दिए कि फरहाना का वजन लगभग 120 किलोग्राम है और वह छत तक चढ़ने में असमर्थ थी।”

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पड़ोसी जिकरा ने जानबूझकर फरहाना का नाम लिया था।

पड़ोसी जिकरा ने रची थी साजिश

जांच में पता चला कि फरहाना की पड़ोसी जिकरा की बहन मरियम पुलिस पर पत्थर फेंक रही थी। गिरफ्तारी के बाद जिकरा ने अपनी बहन को बचाने के लिए फरहाना का नाम ले लिया।

SIT अधिकारी कुलदीप कुमार के अनुसार:

“जिकरा ने जांच अधिकारी को बताया कि फरहाना भी उनके साथ पुलिस पर पत्थर फेंकने आई थी। लेकिन बाद में हमें पता चला कि वह अपनी बहन मरियम को बचाने के लिए झूठ बोल रही थी।”

SIT अब जिकरा के खिलाफ भी पुलिस को गुमराह करने और झूठा बयान देने के आरोप में कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।

फरहाना के लिए जेल के 87 दिन बने दर्दनाक यादें

फरहाना के एक रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि जेल में बिताया गया समय उनके लिए बेहद कठिन था।

“वह बहुत बुरे दौर से गुजरी हैं। जेल में बिताए गए दिन अब भी उन्हें डराते हैं। पुलिस को बिना पुख्ता सबूत किसी को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए।”

26 लोगों को किया गया था गिरफ्तार

SIT सदस्य और इंस्पेक्टर लोकेंद्र कुमार त्यागी ने अदालत में बताया कि संभल हिंसा मामले में 26 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इनमें से 25 के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन फरहाना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

त्यागी ने अदालत से फरहाना की न्यायिक हिरासत खत्म करने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉन्ड पर फरहाना को रिहा कर दिया गया।

संभल हिंसा: आखिर क्या हुआ था?

24 नवंबर को संभल में हिंसा भड़क उठी थी।
एक कोर्ट के निर्देश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था।
सर्वे में दावा किया गया कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर पर बनाई गई थी।
इसके बाद करीब 2,000-3,000 लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी।
हिंसा में 5 लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए।