शिवसेना (UBT) के मुखपत्र ‘सामना’ ने अपने संपादकीय में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा करते हुए राज्य में अनुशासन और पारदर्शिता लाने के उनके प्रयासों की सराहना की है। हालांकि, इसी बहाने पार्टी ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
संपादकीय में दावा किया गया है कि पिछले तीन वर्षों में महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था, जिससे राज्य की राजनीति दूषित हो गई थी। लेकिन अब मुख्यमंत्री फडणवीस ने कड़े कदम उठाकर इस गंदगी को साफ करने की पहल की है।
शिंदे सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप
‘सामना’ के अनुसार, शिंदे सरकार के दौरान आर्थिक अनियमितताओं ने विकराल रूप ले लिया था। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसते हुए शिंदे के मंत्रियों से उनके पीए (PA) और ओएसडी (OSD) की नियुक्ति करने का अधिकार छीन लिया है।
संपादकीय में लिखा गया है:
“मंत्रालय में 16 लोग ओएसडी बनकर दलाली और फिक्सिंग कर रहे थे, लेकिन फडणवीस ने इन सभी को हटाकर साफ-सफाई का कार्य शुरू किया है।”
इसके अलावा, 500 करोड़ रुपये के टेंडर को बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपये करना, उसमें से हजारों करोड़ रुपये कार्य शुरू होने से पहले ही निकाल लेना और घोटालों में नेताओं के करीबियों को शामिल करना—ये सभी आरोप शिंदे सरकार पर लगाए गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की भ्रष्टाचार विरोधी नीति का जिक्र
संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस घोषणा का उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था:
“बस मुझे पैसे खाने वालों के नाम बताओ, मैं हर एक को सीधा कर दूंगा।”
‘सामना’ ने लिखा है कि मुख्यमंत्री फडणवीस को प्रधानमंत्री मोदी को शिंदे और उनके ‘फिक्सरों’ के नाम बताने में कोई आपत्ति नहीं होगी। संपादकीय में आरोप लगाया गया कि शिंदे सरकार में 90,000 करोड़ रुपये की योजनाओं में 25,000 करोड़ रुपये दलाली के रूप में लिए गए।
अमित शाह से भी नहीं मिली राहत
संपादकीय में कहा गया कि शिंदे अपनी शिकायत लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी क्योंकि केंद्र की भूमिका भ्रष्टाचार मिटाने की है, न कि उसे संरक्षण देने की।