European Commission ने अमेरिकी यात्रा पर जा रहे अधिकारियों के लिए सुरक्षा उपायों को लागू किया

European Commission ने अमेरिकी यात्रा पर जा रहे अधिकारियों के लिए सुरक्षा उपायों को लागू किया
European Commission ने अमेरिकी यात्रा पर जा रहे अधिकारियों के लिए सुरक्षा उपायों को लागू किया

यूरोपीय आयोग ने अपने अधिकारियों को सस्ते ‘बर्नर फोन’ और सिंपल लैपटॉप देने का फैसला किया है, जो अमेरिका में यात्रा पर जा रहे हैं। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की जासूसी से बचाव करना है। ब्रिटेन की प्रमुख मीडिया कंपनी The Financial Times की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग को यह चिंता है कि अमेरिका उनके सिस्टम में घुसपैठ कर सकता है, इसलिए यह कदम उठाया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय संघ के अधिकारी जो अगले हफ्ते अमेरिका में होने वाली IMF और वर्ल्ड बैंक की मीटिंग्स में भाग लेने जा रहे हैं, उन पर यह सुरक्षा नियम लागू किए गए हैं। अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे अमेरिका की सीमा पर अपने मोबाइल फोन बंद कर दें और उन्हें विशेष सुरक्षात्मक स्लीव में रखें, ताकि यदि फोन बिना निगरानी के रह जाए, तो जासूसी न हो सके।

पहले सिर्फ चीन और यूक्रेन के लिए होती थी ऐसी तैयारियां

इस तरह की सुरक्षा तैयारियां आमतौर पर उन देशों की यात्राओं में की जाती थीं, जहां जासूसी का खतरा अधिक होता है, जैसे कि चीन और यूक्रेन। इन देशों में यूरोपीय अधिकारियों को अपने सामान्य आईटी उपकरण (जैसे लैपटॉप, स्मार्टफोन) ले जाने की अनुमति नहीं होती थी। लेकिन अब अमेरिका को लेकर भी ऐसी ही सावधानी बरती जा रही है।

एक अधिकारी ने बताया, “हमें चिंता है कि अमेरिका यूरोपीय आयोग के सिस्टम में सेंध लगा सकता है।” हालांकि आयोग ने इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्वीकार किया कि सुरक्षा सलाह को हाल ही में अपडेट किया गया है।

EU और US के बीच बढ़ता व्यापार युद्ध

यह मामला उस समय सामने आया है जब यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है। जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद उन्होंने EU पर 20% टैक्स लगा दिया था और कहा था कि “EU का गठन अमेरिका को धोखा देने के लिए हुआ था।” हालांकि बाद में उन्होंने इन टैरिफ्स को आधा कर दिया और 90 दिनों के लिए रोक लगा दी।

EU ने भी अमेरिका के 21 अरब यूरो के निर्यात पर जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई थी, लेकिन फिलहाल उसे रोक दिया गया है। EU के ट्रेड कमिश्नर मारोस सेफकोविक इस हफ्ते अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लटकनिक से बातचीत कर रहे हैं ताकि यह विवाद सुलझाया जा सके।

‘यह कदम चौंकाने वाला नहीं है’

ब्रसेल्स इंस्टीट्यूट फॉर जियोपॉलिटिक्स के डायरेक्टर ल्यूक वान मिडेलार ने कहा कि ये सुरक्षा उपाय चौंकाने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, “वॉशिंगटन भले ही बीजिंग या मॉस्को न हो, लेकिन वह अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कानून से परे जाकर भी काम कर सकता है।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2013 में बराक ओबामा की सरकार पर जर्मनी की तत्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल के फोन की जासूसी का आरोप लगा था।

इसके अलावा यह भी खबरें आई हैं कि अमेरिका में बॉर्डर स्टाफ को विदेशी लोगों के फोन और लैपटॉप जब्त करने का अधिकार है। कई यूरोपीय टूरिस्ट्स और प्रोफेसर्स को केवल उनके सोशल मीडिया पोस्ट के कारण अमेरिका में एंट्री नहीं दी गई, खासकर यदि वे ट्रंप सरकार की नीतियों के खिलाफ कुछ लिखते पाए गए थे।

यूरोपीय आयोग का यह कदम अमेरिका में जासूसी से बचने के लिए एक सतर्कता भरा प्रयास है। यह सुरक्षा उपाय स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि अमेरिका के साथ व्यापार और राजनयिक संबंधों के बावजूद यूरोपीय आयोग अपनी डिजिटल सुरक्षा को लेकर अत्यधिक सतर्क है।

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