Ethanol-Blended Petrol : गाड़ी में E-20 पेट्रोल डलवाएं या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, दूर की सारी कन्फ्यूजन
News India Live, Digital Desk: Ethanol-Blended Petrol : अगर आपके मन में भी E-20 (पेट्रोल में 20% इथेनॉल का मिश्रण) पेट्रोल को लेकर ऐसी ही कोई आशंका या कन्फ्यूजन थी, तो अब देश की सबसे बड़ी अदालत ने उसे दूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें देश भर में इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल की बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
कोर्ट के इस फैसले ने न केवल सरकार की 'ग्रीन एनर्जी' नीति पर मुहर लगा दी है, बल्कि आम लोगों के मन में उठ रहे सवालों को भी शांत कर दिया है।
क्या था पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाने से पुराने वाहनों, खासकर दोपहिया और चार पहिया वाहनों के इंजन पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का दावा था कि E-20 पेट्रोल के इस्तेमाल से गाड़ियों का माइलेज कम हो रहा है और इंजन के पुर्जे जल्दी खराब हो रहे हैं, जिससे लोगों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार को इस नीति को लागू करने से पहले जनता को इसके नफा-नुकसान के बारे में ठीक से जागरूक करना चाहिए था। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि जब तक सभी पुरानी गाड़ियां इस नए ईंधन के अनुकूल नहीं हो जातीं, तब तक इसकी बिक्री पर रोक लगा दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे "नीतिगत मामला" बताया और इसमें हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा:
- यह सरकार का नीतिगत फैसला है: किसी ईंधन को कब और कैसे लागू करना है, यह तय करना सरकार का काम है, अदालत का नहीं।
- प्रदूषण कम करने के लिए जरूरी: कोर्ट ने सरकार के उस तर्क को माना कि इथेनॉल-मिश्रण जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल-डीजल) पर निर्भरता को कम करने और प्रदूषण को घटाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पर्यावरण के हित में लिया गया एक बड़ा फैसला है।
- अध्ययन पर आधारित नीति: यह नीति व्यापक अध्ययन और विशेषज्ञों की राय के बाद ही लागू की गई है।
संक्षेप में, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि वह सरकार के वैज्ञानिक और नीतिगत फैसलों में तब तक दखल नहीं देगी, जब तक कि वह पूरी तरह से मनमाना या मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला न हो।
आम आदमी के लिए इस फैसले का क्या मतलब है?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि देश में E-20 पेट्रोल की बिक्री जारी रहेगी और आने वाले समय में इसका इस्तेमाल और बढ़ेगा। सरकार का लक्ष्य 2025 तक पूरे देश में 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल उपलब्ध कराना है। ऑटोमोबाइल कंपनियां भी अब जो नई गाड़ियां बना रही हैं, वे E-20 और उससे ऊपर के ईंधन के पूरी तरह से अनुकूल हैं।
इसलिए, अगर आप अपनी गाड़ी में E-20 पेट्रोल डलवा रहे हैं, तो अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस पर अब देश की सर्वोच्च अदालत की भी मुहर लग चुकी है।
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