वैश्विक बाधाओं के बीच इक्विटी एफडीआई प्रवाह में 50 प्रतिशत की गिरावट आई

वैश्विक आर्थिक सुधार में मंदी का असर इक्विटी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पड़ा है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई तक इक्विटी एफडीआई 13.9 अरब डॉलर दर्ज किया गया है. जो कि पिछले साल की समान अवधि में 22.04 बिलियन डॉलर देखा गया था। नेट एफडीआई की बात करें तो अप्रैल से जुलाई 2022 के दौरान यह 17.28 बिलियन डॉलर देखने को मिला। जो चालू वर्ष की समान अवधि में केवल 5.7 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया है। शुद्ध बहिर्प्रवाह घटाकर शुद्ध अंतर्वाह को शुद्ध एफडीआई कहा जाता है। इसका मुख्य कारण सकल एफडीआई में गिरावट रही। अप्रैल-जुलाई 2023 में भारत में सकल FDI गिरकर 22 बिलियन डॉलर हो गया। जो कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2022 में 29.6 बिलियन डॉलर पर देखा गया था।

आरबीआई के सितंबर बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति लेख के अनुसार, भारत में प्रत्यक्ष निवेशकों से विनिवेश में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई और अप्रैल-जुलाई के दौरान 13.18 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया। जो कि पिछले साल की समान अवधि में 8.81 बिलियन डॉलर देखा गया था। विनिर्माण, वित्तीय सेवाएँ, व्यावसायिक सेवाएँ, कंप्यूटर सेवाएँ, बिजली और अन्य ऊर्जा क्षेत्रों का एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 66 प्रतिशत हिस्सा था। देश में एफडीआई के प्रमुख स्रोत देशों में सिंगापुर, जापान, नीदरलैंड, अमेरिका और मॉरीशस शामिल हैं। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल एफडीआई प्रवाह में उनका हिस्सा 66 प्रतिशत से अधिक था।

कई उच्च-आवृत्ति संकेतक वर्तमान कैलेंडर की तीसरी तिमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था में गति में नरमी का संकेत दे रहे हैं। साथ ही अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग रुझान देखने को मिलते हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों के कारण दृष्टिकोण जटिल प्रतीत होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन के बाद 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।