EPFO: 10 हजार की बेसिक सैलरी वालों को रिटायरमेंट पर मिलेंगे 2 करोड़ रुपये, जानिए पूरी डिटेल

Employees' Provident Fund Organisation

EPFO Update : Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO)  रिटायरमेंट के बाद एक सुखद और आर्थिक रूप से सुरक्षित जीवन जीने का सपना हर किसी का होता है। इसे सच करने के लिए समय रहते निवेश शुरू करना जरूरी है। सही प्लानिंग और रणनीति से आप अपने रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड बना सकते हैं। Employees’ Provident Fund (EPFO) ऐसा ही एक विश्वसनीय विकल्प है। यह सुरक्षित निवेश के साथ-साथ बेहतर रिटर्न देता है, जो आपके भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाता है।

क्या है EPFO और इसका महत्व?

EPFO, यानि Employees’ Provident Fund Organisation, कर्मचारियों के लिए एक ऐसी योजना है, जो रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। EPFO स्कीम के तहत, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों एक निश्चित राशि योगदान करते हैं, जो समय के साथ ब्याज सहित बड़ी रकम में तब्दील हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न देने वाली योजना है।

EPFO निवेश के फायदे

  1. सुरक्षित और स्थिर रिटर्न: EPFO के तहत आपका पैसा सुरक्षित रहता है और हर साल निश्चित ब्याज मिलता है। यह मार्केट जोखिम से मुक्त है।
  2. लंबी अवधि के लिए धन संचय: EPFO आपके रिटायरमेंट के लिए एक मजबूत फंड तैयार करता है।
  3. पेंशन का लाभ: इसमें पेंशन स्कीम (EPS) के तहत भविष्य में नियमित आय की सुविधा मिलती है।

कैसे काम करती है EPFO स्कीम?

EPFO स्कीम के तहत, कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों हर महीने योगदान करते हैं। कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% हर महीने EPF खाते में जमा होता है। वहीं, नियोक्ता भी कर्मचारी की सैलरी का 12% योगदान करता है।

नियोक्ता के योगदान का विभाजन:

  • 3.67% EPF खाते में जाता है।
  • 8.33% कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में जमा होता है।

इस प्रकार, हर महीने कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा किया गया कुल योगदान एक मजबूत रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद करता है।

EPF का लाभ कौन उठा सकता है?

EPF का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित हैं:

  1. कम से कम 20 कर्मचारी: जिन संगठनों में 20 या उससे अधिक कर्मचारी हैं, उनके लिए EPFO में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
  2. स्वैच्छिक रजिस्ट्रेशन: 20 से कम कर्मचारियों वाले संगठन भी EPFO के लिए रजिस्टर कर सकते हैं।
  3. योग्यता: जिन कर्मचारियों की मासिक आय 15,000 रुपये से कम है, उनके लिए EPF अनिवार्य है। 15,000 रुपये से अधिक कमाने वाले कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से इसका विकल्प चुन सकते हैं।

EPF कब और कैसे क्लेम कर सकते हैं?

  1. रिटायरमेंट पर: 58 या 60 साल की उम्र में कर्मचारी EPF का क्लेम कर सकता है।
  2. सेवा छोड़ने पर: नौकरी छोड़ने के बाद कर्मचारी अपना EPF फंड निकाल सकता है, बशर्ते वह दो महीने तक बेरोजगार रहे।
  3. असामयिक मृत्यु पर: कर्मचारी की मृत्यु के मामले में उनके परिवार को EPF का भुगतान किया जाता है।

10 हजार की बेसिक सैलरी से 2 करोड़ रुपये कैसे बनाएं?

अब सवाल उठता है कि अगर आपकी बेसिक सैलरी 10 हजार रुपये है, तो आप 2 करोड़ रुपये का फंड कैसे बना सकते हैं? चलिए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं:

केस स्टडी:

  • कर्मचारी की उम्र: 23 साल
  • बेसिक सैलरी: 10,000 रुपये
  • कुल सैलरी: 40,000 रुपये (प्रारंभिक)
  • सैलरी वृद्धि: हर साल 10%
  • EPF ब्याज दर: 8.25%
  • रिटायरमेंट उम्र: 60 साल (37 साल की नौकरी)

मंथली योगदान:

  1. कर्मचारी का योगदान: बेसिक सैलरी का 12% = 1,200 रुपये
  2. नियोक्ता का योगदान: बेसिक सैलरी का 12% = 1,200 रुपये (EPF और EPS में विभाजित)
    • EPF के लिए नियोक्ता का योगदान: 3.67% = 367 रुपये
    • EPS (पेंशन स्कीम): 8.33% = 833 रुपये

इस प्रकार, हर महीने कुल योगदान = 1,200 + 367 = 1,567 रुपये

कैसे होगा फंड का कैलकुलेशन?

पहले साल का योगदान:

  • कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा कुल वार्षिक योगदान = 1,567 × 12 = 18,804 रुपये

सैलरी में सालाना 10% वृद्धि:

हर साल सैलरी में 10% की वृद्धि के साथ, मंथली और वार्षिक योगदान भी बढ़ता जाएगा।

37 साल बाद कुल जमा राशि:

  • कुल निवेश: 68,46,018 रुपये
  • ब्याज: 1,30,08,857 रुपये
  • कुल रिटायरमेंट फंड (मैच्योरिटी अमाउंट): 1,98,54,875 रुपये (~2 करोड़ रुपये)

EPFO को क्यों चुनें?

  1. गैर-जोखिम भरा: बाजार से जुड़ी योजनाएं अधिक रिटर्न दे सकती हैं, लेकिन वे जोखिम भरी होती हैं। EPFO पूरी तरह सुरक्षित है।
  2. गारंटीड रिटर्न: EPFO हर साल ब्याज दर की गारंटी देता है, जो अन्य बचत योजनाओं से बेहतर होता है।
  3. पेंशन का फायदा: EPFO के साथ, आप न केवल एक बड़ा फंड बना सकते हैं, बल्कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन का लाभ भी उठा सकते हैं।