पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन: एक युग का अंत

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भारत के आर्थिक सुधारों के जनक और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हो गए। उनकी अंतिम यात्रा में देश-विदेश की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ. सिंह की बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी सहित अन्य कई दिग्गज शामिल हुए। इन सभी ने उन्हें अंतिम विदाई देते हुए उनके योगदान को याद किया।

अंतिम यात्रा: कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लगाए नारे

कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक निकाली गई अंतिम यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने “जब तक सूरज-चांद रहेगा, मनमोहन तेरा नाम रहेगा” और “मनमोहन सिंह अमर रहें” के नारे लगाए। इस दौरान, उनका पार्थिव शरीर जिस वाहन में रखा गया था, उसमें राहुल गांधी, परिवार के सदस्य, और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

डॉ. सिंह का पार्थिव शरीर पहले कांग्रेस मुख्यालय ‘24 अकबर रोड’ में रखा गया था, जहां सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

92 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर की रात करीब 9 बजे दिल्ली के एम्स में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके सम्मान में स्मारक बनाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस भी हुई। हालांकि, सरकार ने घोषणा की है कि डॉ. सिंह की स्मृति को संरक्षित करने के लिए एक ट्रस्ट बनाकर समाधि स्थल का निर्माण किया जाएगा।

डॉ. मनमोहन सिंह का असाधारण करियर

डॉ. सिंह का राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन उनकी विद्वता और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। वह 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले, 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक पटल पर नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।

शिक्षा और प्रारंभिक करियर

डॉ. सिंह ने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में ऑनर्स डिग्री प्राप्त की। 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डीफिल की उपाधि अर्जित की। उनके शैक्षणिक करियर की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में हुई।

प्रशासनिक पदों पर उत्कृष्ट योगदान

  1. 1971: भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार नियुक्त।
  2. 1972: वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार।
  3. 1980-82: योजना आयोग के सदस्य।
  4. 1982-85: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर।
  5. 1985: योजना आयोग के उपाध्यक्ष।
  6. 1990: प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार।

आर्थिक सुधारों के जनक

डॉ. सिंह का सबसे बड़ा योगदान 1991 में वित्त मंत्री के रूप में देखा गया, जब उन्होंने भारत में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीति लागू की। इस नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट से उबारते हुए नई दिशा दी और देश को वैश्विक आर्थिक मंच पर स्थापित किया।

विद्वत्ता और सरलता का संगम

डॉ. मनमोहन सिंह को उनके विद्वता के साथ-साथ उनकी विनम्रता और सादगी के लिए भी याद किया जाएगा। उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्री, और प्रशासक के रूप में भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई।