धमतरी, 13 अप्रैल (हि.स.)। एकावरी (उदंती सीतानदी) के जंगल में नक्सलियों और डीआरजी पुलिस जवान, एसटीएफ व सीआरपीएफ जवानों की संयुक्त टीम के बीच करीब आधे घंटे तक मुठभेड़ हुई। घटना स्थल पर मिले खून के निशान से कुछ नक्सलियों के मरने व घायल होने की आशंका है। वहीं जवानों ने घटना स्थल से नक्सली सामग्री जब्त की है। जवानों के संयुक्त टीम की कार्रवाई जब भारी पड़ी, तो नक्सली फायरिंग छोड़कर भाग निकले। नक्सली मैनपुर नुआपाड़ा संयुक्त डिविजन के है।
एसपी कार्यालय धमतरी से शनिवार को मिली जानकारी के अनुसार 12 अप्रैल शाम एकावरी के जंगल में मैनपुर नुआपाड़ा संयुक्त डिविजन के 25 से 30 नक्सलियों के होने की जानकारी मिली। तत्काल धमतरी डीआरजी, गरियाबंद डीआरजी पुलिस जवानों की टीम, एसटीएफ जवान और सीआरपीएफ जवानों की संयुक्त टीम बनाई गई। नक्सलियों को पकड़ने पुलिस व फोर्स की संयुक्त टीम शाम को ही एकावरी के जंगल में घुसे। सर्चिंग के दौरान नक्सलियों की सुगबुगाहट होते ही पुलिस की संयुक्त टीम और नक्सलियों के बीच में फायरिंग शुरू हो गई। रात में पुलिस और नक्सलियों के बीच रुक-रुककर करीब आधे घंटे तक मुठभेड़ हुई।
इस बीच पुलिस जवानों की टीम नक्सलियों पर भारी पड़ी तो नक्सली वहां से भाग निकले। घटना के बाद पुलिस जवानों ने घटना स्थल व आसपास क्षेत्रों में सर्चिंग की तो वहां जगह-जगह खून के धब्बा मिले, इससे मुठभेड़ में कई नक्सलियों के मरने व घायल होने की आशंका है। रात में अंधेरे का फायदा उठाकर नक्सली घने जंगलों व पहाड़ी क्षेत्र से घायल व मृत नक्सलियों को लेकर भाग निकले। वहीं पुलिस व जवानों के संयुक्त टीम को घटना स्थल से नक्सलियों के बीजीएल, जिंदा ग्रेनेड, प्रतिबंधित नक्सली संगठन के प्रचार प्रसार की सामग्री, नक्सली बैनर, नक्सली साहित्य, नक्सली वर्दी, सोलर प्लेट, वायर बंडल, दवाइयां एवं अन्य खाने-पीने एवं दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की गई। इस घटना के बाद डीआरजी पुलिस जवानों, सीआरपीएफ जवानों और एसटीएफ जवानों की क्षेत्र में सर्चिंग तेज कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही बस्तर में फोर्स के दबाव बढ़ने के कारण ओड़िसा और धमतरी सीमा क्षेत्र में नक्सलियों की आवाजाही शुरू हो जाती है, क्योंकि नक्सलियों के लिए बस्तर प्रवेश के लिए यह मुख्य कारिडोर है। लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले क्षेत्र में नक्सलियों की आने की खबर से क्षेत्रवासियों में दहशत है। नक्सली मुठभेड़ के बाद क्षेत्र के मेचका थाना, बोराई, बिरनासिल्ली सीआरपीएफ जवान सक्रिय हो गए हैं। घटना स्थल एकावरी के जंगल से ओड़िशा बार्डर मात्र सात किलोमीटर दूर है। यहां से ग्राम सेमरडीह लगते ही ओड़िशा बार्डर शुरू हो जाती है। इसी तरह रिसगांव से गरियाबंद बार्डर ग्राम जोरातराई के बाद तीन किलोमीटर दूरी पर बोईरडीह है, जो गरियाबंद बार्डर है। घटनास्थल से दूरी करीब 15 किलोमीटर है। इस तरह घटना स्थल के आसपास के नक्सल प्रभावित ग्राम बहीगांव, बोड़रा, गुड़रा, साल्हेभाट, जोगीबिरदो, आमझर, फरसगांव और खल्लारी क्षेत्र पर पुलिस की नजर बनी हुई है, क्योंकि नक्सली इन गांवों के जंगलों का शरण ले सकता है।