दियारा भूमि पर सब्जियों, ग्राफ्टेड टमाटर और बैंगन की टिकाऊ खेती पर जोर,किसानों की रूचि बढ़ी

वाराणसी,15 मार्च (हि.स.)। आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) वाराणसी पवित्र गंगा नदी की निर्मलता एवं स्वछता बनाये रखने के साथ कृषि में बदलाव लाने के लिए किसान को प्रशिक्षित करने पर जोर दे रही हैं।

गंगा के कछार में खेती करने वाले किसानों के सहयोग से शुक्रवार को आईआईवीआर ने गांगपुर गांव में जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें दियारा भूमि पर कद्दुवर्गीय सब्जियों, ग्राफ्टेड टमाटर और बैंगन की टिकाऊ खेती और गंगा में कीटनाशकों के प्रवाह में कमी लाने पर बल दिया गया।

किसानों को बताया गया कि जनसंख्या वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते अनियमित जल चक्रों के कारण कृषि योग्य भूमि पर उत्पादन का दबाव बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से प्रेरित घटनाएं जैसे अचानक बाढ़, अधिक बार घटित हो रही हैं, और नदी तलों के फैलाव को बढ़ा रही हैं। ऐसे में नदी किनारे खेती कृषि योग्य भूमि पर उत्पादन के दबाव को कम करने में योगदान दे सकती है।

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर तुषार कांति बेहरा के नेतृत्व में आईसीएआर-आईआईवीआर की नई पहल खीरे, खरबूजे,कद्दू, स्क्वैश की खेती को बढ़ावा देकर इस उर्वरता का लाभ किसानों को उठाना चाहिए। बताया गया कि संस्थान चलाई जा रही परियोजना के अंतर्गत किसानों को आधुनिक, टिकाऊ खेती पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रशिक्षण और कृषि संसाधन उपलब्ध करा रहा है। इसमें जैविक उर्वरकों का उपयोग, एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) तकनीक और जल-बचत सिंचाई विधियां शामिल हैं। इस पहल का एक महत्वपूर्ण पहलू रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना है, जो गंगा नदी में प्रदूषण में एक प्रमुख कारक है। प्रमुख, सब्जी सुधार प्रभाग आईआईवीआर डॉ. नागेंद्र राय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तकनीकी जानकारी के माध्यम से वैज्ञानिक खेती पद्धतियों को अपनाने पर खासा जोर दिया।

प्रधान वैज्ञानिक और नदी तल परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. राकेश कुमार दुबे ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के वित्त पोषित इस परियोजना के तहत अनुसंधान के उद्देश्यों को बताया। जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञ डॉक्टर्स कुलदीप श्रीवास्तव, अनुराग चौरसिया, आत्मानंद त्रिपाठी एवं मंजूनाथ गौड़ा ने भी किसानों को जरूरी बातें बताई। जिले के एग्रीमित्र एफपीओ से डॉ. गोविंद नारायण सिंह एवं संस्थान के शिवम सिंह, प्रदीप पांडेय, मनीष सिंह ने भी भागीदारी की। जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘कृषक पाठशाला’ में 200 से अधिक किसानों ने भाग लिया।