उत्तराखंड के जिम कार्बेट नेशनल पार्क के मुख्य इलाके में निजी बसों को चलाने के मामले पर संतुलित रुख अपनाने पर जोर

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नई दिल्ली, 27 नवंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जिम कार्बेट नेशनल पार्क के मुख्य इलाके में निजी बसों को चलाने के मामले पर सुनवाई करते हुए एक संतुलित रुख अपनाने पर जोर दिया। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हमें केवल जानवरों के बारे में ही नहीं बल्कि वहां रह रहे इंसानों के बारे में भी सोचना होगा।

सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी के परमेश्वर ने कहा कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में वन मार्ग पर निजी बसों के परिचालन के खिलाफ सिफारिश की है। तब जस्टिस गवई ने कहा कि इस मसले पर हमें संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, हमें वहां के लोगों के बारे में भी सोचना होगा।

सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि 18 सीटों वाली बस 1986 से वहां चल रही है और यह स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए है। तब परमेश्वर ने कहा कि सड़क पर कोई आपत्ति नहीं है और केवल वाणिज्यिक बस सेवा का विरोध किया जा रहा है। तब जस्टिस गवई ने कहा कि आप एक व्यावहारिक दृष्टिकोण रखिए। आप 24 सीटें वाले कैंटर को जिम कार्बेट नेशनल पार्क के मुख्य क्षेत्र में ले जा सकते हैं और वहां रहने वालों के लिए 18 सीटों वाली बस नहीं। कोर्ट ने सुझाव दिया कि अगर आपत्ति निजी बसों के परिचालन को लेकर है तो कोर्ट इस मार्ग पर सरकारी परिवहन सेवा के बसों के परिचालन का निर्देश दे सकता है।