अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भारत में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने के लिए तैयार है। इससे भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों जियो और एयरटेल की चिंता बढ़ गई है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने 15 दिसंबर को स्टारलिंक के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की सिफारिश की है। जल्द ही स्टारलिंक को सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया जा सकता है।
स्टारलिंक का भारतीय टेलीकॉम बाजार पर असर
भारत में जियो, एयरटेल, और अमेजन भी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की तैयारी में हैं। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि स्टारलिंक भारत में इस सेवा को लॉन्च करने वाली पहली कंपनी बन सकती है।
- मुकाबले की चुनौती:
स्टारलिंक की एंट्री भारतीय टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। यह न केवल उनकी मार्केट हिस्सेदारी को प्रभावित करेगी, बल्कि ग्राहकों के लिए विकल्प भी बढ़ाएगी। - प्रतिस्पर्धा का बढ़ना:
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार में स्टारलिंक की एंट्री से जियो और एयरटेल को उच्चस्तरीय प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
स्टारलिंक की लॉन्चिंग: अगले महीने संभव
स्टारलिंक की सेवाएं भारत में अगले महीने लॉन्च हो सकती हैं।
- स्पेक्ट्रम आवंटन पर विचार:
दूरसंचार विभाग (DoT) स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया पर विचार कर रहा है। जियो और एयरटेल चाहती हैं कि इसके लिए बोली की प्रक्रिया अपनाई जाए। - फैसले की उम्मीद:
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार, स्पेक्ट्रम आवंटन पर फैसला इस महीने के अंत तक लिया जा सकता है।
स्टारलिंक की खासियत: रिमोट एरिया में कनेक्टिविटी
स्टारलिंक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी रिमोट एरिया कनेक्टिविटी है।
- सैटेलाइट आधारित नेटवर्क:
स्टारलिंक नेटवर्क के लिए टावरों पर निर्भर नहीं है। यह सीधे सैटेलाइट से इंटरनेट सेवाएं प्रदान करती है। - सुदूर इलाकों के लिए फायदेमंद:
इसके जरिए ऐसे दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा, जहां मौजूदा टेलीकॉम सेवाएं नहीं पहुंच पातीं। - महंगी होगी सेवा:
हालांकि, स्टारलिंक की सेवाएं भारतीय टेलीकॉम कंपनियों के मुकाबले थोड़ी महंगी होंगी।
स्टारलिंक का वैश्विक अनुभव
स्टारलिंक पहले से ही अमेरिका, यूरोप, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपनी सेवाएं दे रही है। इन देशों में यह हाई-स्पीड इंटरनेट और रिमोट एरिया कनेक्टिविटी के लिए जानी जाती है।