एच-1बी वीजा कार्यक्रम, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कुशल श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, एक बार फिर चर्चा में है। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क, जिन्होंने पहले इस कार्यक्रम का जोरदार समर्थन किया था, अब इसमें सुधार की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन के साथ, मस्क का यह नरम रुख भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।
एच-1बी वीजा पर एलन मस्क की राय
एलन मस्क ने हाल ही में ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि एच-1बी वीजा के तहत विदेशी श्रमिकों को लाने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है और इसे सुधारने की जरूरत है।
- उन्होंने सुझाव दिया कि “न्यूनतम वेतन में वृद्धि” और वीजा के साथ वार्षिक लागत जोड़ने से अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- उनका कहना है कि इससे विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करना अधिक महंगा हो जाएगा, जो स्थानीय श्रमिकों को फायदा पहुंचाएगा।
मस्क का समर्थन और ट्रंप का रुख
मस्क का बयान राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में उठाए गए कठोर एच-1बी प्रतिबंधों के विपरीत है। ट्रंप ने 2020 में इस कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि यह अमेरिकियों की जगह कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों को बढ़ावा देता है।
- हाल ही में ट्रंप ने इस मुद्दे पर नरम रुख अपनाते हुए कहा,
“मुझे वीजा पसंद है। यह इसलिए है कि हमारे पास एच-1बी वीजा है।”
- ट्रंप ने मस्क और भारतीय-अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) का नेतृत्व सौंपा है।
एच-1बी वीजा की प्रासंगिकता
एच-1बी वीजा अमेरिकी तकनीकी कंपनियों, विशेष रूप से टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- टेक कंपनियों की निर्भरता:
- भारत और चीन जैसे देशों से हजारों कुशल श्रमिक इस वीजा के तहत अमेरिका आते हैं।
- आईटी कंपनियां लंबे समय से एच-1बी वीजा की संख्या बढ़ाने की मांग कर रही हैं।
- मस्क ने स्वीकार किया कि उनकी कंपनियां इस वीजा पर निर्भर रही हैं और इससे अमेरिका को “दुनिया की श्रेष्ठ प्रतिभाओं” को आकर्षित करने में मदद मिली है।
एच-1बी वीजा: प्रणाली में सुधार की आवश्यकता
मस्क ने जोर दिया कि मौजूदा प्रणाली त्रुटिपूर्ण है और इसे सुधारने की जरूरत है।
- उन्होंने सुझाव दिया:
- न्यूनतम वेतन को बढ़ाना।
- वीजा के साथ वार्षिक लागत जोड़ना, जिससे विदेशी श्रमिकों की नियुक्ति महंगी हो।
- मस्क का मानना है कि ये सुधार अमेरिका को प्रतिभा का केंद्र बनाए रखेंगे, जबकि घरेलू श्रमिकों के लिए भी अवसर सुनिश्चित करेंगे।
भारतीयों के लिए सकारात्मक संकेत
एच-1बी वीजा में सुधार और समर्थन से भारतीय पेशेवरों को लाभ मिल सकता है।
- भारतीय तकनीकी पेशेवरों की भूमिका:
- भारत से बड़ी संख्या में तकनीकी विशेषज्ञ हर साल एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करते हैं।
- मस्क और ट्रंप द्वारा इस कार्यक्रम पर लचीलापन अपनाने से भारतीयों के लिए अमेरिका जाने के अवसर बढ़ सकते हैं।
विवाद और आलोचना
एच-1बी वीजा पर बहस तब शुरू हुई जब दक्षिणपंथी विचारधारा की इन्फ्लुएंसर लॉरा लूमर ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के एआई नीति सलाहकार के रूप में भारतीय-अमेरिकी श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति की आलोचना की।
- लूमर ने कहा:
- यह “अमेरिका प्रथम” नीति के विपरीत है।
- विवेक रामास्वामी ने भी अमेरिकी संस्कृति की आलोचना करते हुए इसे “सामान्यता को बढ़ावा देने वाला” बताया।
मस्क का दृष्टिकोण
मस्क ने स्पष्ट किया कि वह उन सभी लोगों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने अमेरिका में आकर कड़ी मेहनत की और योगदान दिया।
- उन्होंने कहा,
“अमेरिका आजादी और अवसरों की भूमि है। इसे ऐसे ही बनाए रखने के लिए अपने पूरे अस्तित्व के साथ लड़ना चाहिए।”
निष्कर्ष
एच-1बी वीजा पर एलन मस्क का नरम रुख और प्रणाली में सुधार की अपील अमेरिकी आव्रजन नीति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इस बदलाव से भारतीय और अन्य विदेशी श्रमिकों को नए अवसर मिल सकते हैं, जबकि अमेरिका घरेलू और विदेशी प्रतिभाओं के बीच संतुलन बना सकता है।