‘पीएम मोदी को सबसे बड़ी चुनौती कौन दे रहा है..?’, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का खुलासा

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चार चरणों में मतदान हो चुका है. और तीन चरणों का मतदान बाकी है. उस वक्त राजनीतिक पार्टियां धुआंधार प्रचार कर जीत का दावा कर रही हैं. बीजेपी की कमान खुद मोदी के हाथ में है और लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए मैदान में उतरी है. तब राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘ऐसा नहीं है कि मोदी ब्रांड को हराया नहीं जा सकता.’

लोग पीएम मोदी को चुनौती दे रहे हैं: प्रशांत किशोर

इससे पहले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा कर रही है. इसलिए नरेंद्र मोदी बीजेपी के लिए ब्रांड हैं. राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार के खिलाफ विपक्ष को मजबूत बताया है. एक इंटरव्यू के दौरान प्रशांत ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मोदी ब्रांड को हराया नहीं जा सकता या कोई उसे चुनौती नहीं दे सकता। चाहे कोई राजनीतिक दल प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती दे या नहीं, लोग उन्हें (पीएम मोदी) चुनौती दे रहे हैं।’

सरकार का विरोध कमजोर नहीं है

इसके अलावा किशोर ने आगे कहा कि ‘विपक्षी दल कमजोर हो सकते हैं, लेकिन सरकार के खिलाफ विपक्ष कमजोर नहीं है. यह एक ऐसा देश है जहां 60 करोड़ से ज्यादा लोग प्रतिदिन 100 रुपये से ज्यादा नहीं कमाते हैं। उस देश में सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष कभी कमज़ोर नहीं हो सकता. ऐसा सोचना गलत है. विपक्षी दल और विपक्षी दलों का ढांचा कमजोर हो सकता है, लेकिन देश में जो विरोध हो रहा है, वह कभी कमजोर नहीं हो सकता.

ग्रामीण संकट बीजेपी के खिलाफ बड़ा मुद्दा है

प्रशांत किशोर ने आंकड़े साझा करते हुए आगे कहा, ‘किसी को 50 फीसदी वोट नहीं मिलते. सीधे शब्दों में कहें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देने वाले 100 में से 40 लोग हिंदुत्व, राम मंदिर और धारा 370 का समर्थन करते हैं। तो कुल मिलाकर 40 फीसदी लोग ही खुश हैं. जबकि 60 से 62 फीसदी लोग खुश नहीं हैं. ग्रामीण संकट बीजेपी के खिलाफ बड़ा मुद्दा है. इसके बाद भी अगर बीजेपी जीत रही है तो विपक्षी दल उतने मजबूत और भरोसेमंद नहीं हैं.

बीजेपी का प्रदर्शन 3 फीसदी कम रहा

राजनीतिक रणनीतिकार ने कहा, ‘2014 और 2019 की तुलना में ब्रांड मोदी की ताकत कम हो रही है. 2014 में मतदाताओं में उत्साह था. 2019 में लोगों को लगा कि सरकार को विकास के लिए पांच साल और मिलने चाहिए. एक बड़े वर्ग का मानना ​​था कि मोदी सरकार आने के बाद देश बदल जाएगा. इस बार भी लोगों को लगेगा कि कोई विकल्प नहीं है, वोट देना ही होगा. प्रशांत किशोर ने कहा कि ‘2014 से 2019 के बीच बीजेपी का प्रदर्शन 3 फीसदी कम रहा. इसमें खास बात यह है कि राम मंदिर को लेकर भी ज्यादा वोट नहीं मिल रहे हैं.’