
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में लौटते ही अपने देश में रह रहे दर्जनों अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू की। इसके अलावा, उन्होंने वेनेजुएला के 200 से ज्यादा नागरिकों को एल साल्वाडोर की कुख्यात जेल में भेजा है, जिसके लिए अमेरिका ने 6 मिलियन डॉलर की लागत चुकाई है। इस जेल में एक शख्स, किल्मर अब्रेगो गार्सिया, को गलती से भेज दिया गया था, और अब उसे वापस अमेरिका भेजने की योजना बनाई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने गार्सिया को वापस लाने का आदेश दिया
12 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किल्मर अब्रेगो गार्सिया को अमेरिका वापस लाया जाएगा। ट्रंप प्रशासन ने यह भी माना कि गार्सिया को गलती से एल साल्वाडोर की जेल में भेज दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि प्रशासन को गार्सिया को वापस लाने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, लेकिन अब ट्रंप प्रशासन इससे मुकर गया है।
प्रशासन ने अपनी बात से पीछे हटते हुए कहा
ट्रंप प्रशासन ने रविवार को कहा कि गार्सिया को अमेरिका वापस लाने के लिए एल साल्वाडोर के अधिकारियों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता नहीं है। इस निर्णय के बाद से सुप्रीम कोर्ट और प्रशासन के बीच टकराव की संभावना बढ़ गई है। DOJ के वकीलों ने इस मामले में फाइलिंग करते हुए कहा, “संघीय अदालतों के पास एग्जीक्यूटिव ब्रांच को किसी विशेष तरीके से विदेशी संबंधों का संचालन करने या किसी विदेशी संप्रभु के साथ किसी निश्चित तरीके से जुड़ने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।” उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अधिकारियों का कर्तव्य केवल घरेलू परेशानियों को हल करना है, जो गार्सिया के अमेरिका लौटने में रुकावट डाल सकती हैं।
गार्सिया को गलती से एल साल्वाडोर भेजा गया
किल्मर अब्रेगो गार्सिया को मार्च 2025 में एल साल्वाडोर की एक कुख्यात मेगाजेल में भेजा गया था, जहां वे वेनेजुएला के गिरोह के सदस्य हैं। गार्सिया के वकीलों का कहना है कि गार्सिया अमेरिका में कानूनी तरीके से रह रहे थे और उन्होंने गिरोह की हिंसा से बचने के लिए अपना देश छोड़ दिया था। ट्रंप ने इस बात की पुष्टि की कि गार्सिया CECOT नामक मेगा जेल में सुरक्षित और जीवित हैं।
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