ठाणे में भाजपा की बढ़ती सक्रियता से एकनाथ शिंदे की मुश्किलें बढ़ीं

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महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ढाई साल तक भाजपा-शिवसेना सरकार चली, लेकिन सत्ता समीकरण बदलते ही स्थितियां भी बदल गईं। अब भाजपा ड्राइविंग सीट पर है और एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम की भूमिका में हैं। इसके बावजूद, शिंदे की पसंद के मंत्रालय उन्हें नहीं मिल सके और अब उनके सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई है—भाजपा उनके गढ़ ठाणे में अपना जनाधार बढ़ाने में जुट गई है।

ठाणे में ‘कमल खिलाने’ की तैयारी

बुधवार को भाजपा मंत्री गणेश नाइक ने कहा कि हम ठाणे में भाजपा का विस्तार चाहते हैं और यहां कमल खिलाना हमारा लक्ष्य है। भाजपा का यह आक्रामक रुख एकनाथ शिंदे के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। शिंदे, जो कभी उद्धव ठाकरे से बगावत कर मुख्यमंत्री बने थे, अब खुद को भाजपा की बढ़ती सक्रियता के चलते राजनीतिक दबाव में महसूस कर सकते हैं।

भाजपा मंत्रियों की बढ़ती सक्रियता से बढ़ी टेंशन

ठाणे के प्रभारी मंत्री एकनाथ शिंदे हैं, इसलिए विकास से जुड़े सभी मामलों में उन्हीं की भूमिका अहम रहती है। लेकिन अब भाजपा नेता गणेश नाइक भी ठाणे में जनता दरबार लगाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, नाइक पालघर जिले के प्रभारी मंत्री हैं, लेकिन उन्होंने घोषणा की कि वह ठाणे में भी हर तीन महीने में जनता दरबार लगाएंगे।

शिंदे गुट के नेताओं का कहना है कि यह सब एकनाथ शिंदे को कमजोर करने की रणनीति है और वे इसे सफल नहीं होने देंगे।

चुनाव के बाद से चल रही खींचतान

चुनाव परिणाम आने के बाद से ही एकनाथ शिंदे और भाजपा के बीच तनाव जारी है। शिंदे ने पहले भी नासिक और रायगढ़ के प्रभारी मंत्रियों के चयन पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद भाजपा को अपने फैसले पर रोक लगानी पड़ी। अब गणेश नाइक की ठाणे में बढ़ती सक्रियता शिंदे के लिए एक और सिरदर्द बन गई है।

इसका जवाब भी शिंदे गुट ने तुरंत दिया। पर्यटन मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि गणेश नाइक ने यह फैसला सोच-समझकर लिया है। वहीं, शिंदे गुट के सांसद नरेश म्हासके ने चेतावनी दी कि अगर भाजपा ठाणे में जनता दरबार लगाएगी, तो हम भी पालघर में अपना जनता दरबार लगाएंगे।

भाजपा नेतृत्व का गणेश नाइक को समर्थन

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने गणेश नाइक के फैसले का पूरा समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भाजपा उन इलाकों में अपने मंत्रियों को नियुक्त कर रही है, जहां उसका प्रभारी मंत्री नहीं है, ताकि जनहित के काम हो सकें।

उन्होंने शिंदे गुट की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि एक मंत्री पूरे राज्य का होता है, और भाजपा सहयोगी दलों के प्रभारी मंत्रियों के क्षेत्रों में अपने संपर्क मंत्री तैनात करेगी, ताकि लोगों को फायदा हो।

आगे क्या होगा?

भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच ठाणे को लेकर संघर्ष तेज हो सकता है। भाजपा ठाणे में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, जबकि शिंदे गुट इसे अपनी राजनीतिक पकड़ को कमजोर करने की साजिश मान रहा है।

आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि यह खींचतान क्या नया मोड़ लेती है और क्या शिंदे अपनी पकड़ बनाए रख पाएंगे या भाजपा ठाणे में अपनी स्थिति मजबूत कर लेगी।