शिक्षा ज्ञान, संस्कार व मूल्य आधारित हो: आनंदीबेन पटेल

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अयोध्या, 20 सितंबर (हि.स.)।डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का 29 वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने समारोह में छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण बनाये रखने में सदैव गुरुकुलों एवं विश्वविद्यालयों का रहा है। इसमें समाज के निर्माण एवं संवर्धन में विश्वविद्यालयों ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। संस्कृति, ज्ञान एवं परंपरा के संरक्षक एवं विभिन्न कालों में नवीन परम्पराओं के संवाहक एवं नवोन्मेष शोध केंद्र के रूप में ये समाज को सकारात्मक दिशा देने का कार्य रहे हैं। कुलाधिपति ने कहा कि स्वर्णपदक पाने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिदिन छात्राएं आगे बढ़ रही हैं। इनमें छात्राओं की संख्या काफी है। समाज के सर्वागीण विकास एवं सशक्त बनाने में इनकी भूमिका बढ़ जाती है। समारोह में राज्यपाल ने कहा कि आपकी सफलता में आपके माता-पिता, गुरूओं की विशेष भूमिका होती है। आप सभी भारत के सबसे युवा एवं सबसे बड़ी पूंजी है। भारत युवा देश में से एक है। हमारी पचपन प्रतिशत से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है। वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे। देश के प्रधानमंत्री ने 2047 तक एक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए हम सभी के पास स्वर्णिम अपार संभावनाएं है, बल्कि उसके अनुरूप परिस्थितियां भी है। वर्ष 2047 में जब देश आजादी का वर्षगाठ बनायेगा। भारत का समृद्ध गौरवशाली इतिहास सदैव गौरवान्वित करता रहता है।

समारोह में राज्यपाल ने कहा कि भारत एक समृद्ध विरासत वाला राष्ट्र है, और इसका ध्वजवाहक आपको ही बनना है। अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आगे कठिन परिश्रम करें। भारत सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की सौ दिन की रिर्पोट में मुद्रा लोन की धनराशि बढाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कुलाधिपति ने कहा कि प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका निभाने के लिए कार्य करें। अयोध्या अपनी पुरातन संस्कृति के साथ सज-धज रही है। रेलवे स्टेशनों को पुनरुद्धार किया गया। वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। यहां पर पर्यटन होटल धर्मनगरी के रूप में अयोध्या विकसित हो रही है। दुनिया के विश्वविद्यालय अब भारत में अपने केन्द्र खोल रहे हैं। भारत विश्व की अर्थव्यवस्था के पांचवें से तीसरे स्थान की ओर अग्रसर है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो शिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर भी बनाये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति संचालित पाठ्यक्रमों का संचालन अवध विश्वविद्यालय कर रहा है।

समारोह में राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालय को पीएम उषा के तहत 100 करोड़ अनुदान दिया है जिससे शिक्षा के संसाधनों को विकसित किया जा सके। शिक्षा में सभी को समान अवसर मिले, इसके लिए आस-पास के पिछडे़ जिलों को भी विकसित करना है। मेरा मत है केजी से पीजी तक आपस में एक दूसरे से जुड़े रहे। उसके लिए हाॅयर एजुकेशन का सेतु बनाना होगा। वही बच्चे आगे बढ़कर एक दूसरे को सहयोग करेंगे। कुलाधिपति ने कहा कि प्रदेश की 34 विश्वविद्यालयों में पांच-पांच गांव गोद लिया हैं उन गांवों को उनके अधिकार दिला रहे हैं। देश को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं को कृत संकल्पित होकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जा रहा है। हमारा पर्यावरण जल, नदियां घरवार, संस्कार स्वच्छ होना चाहिए। स्वच्छता हमारा स्वभाव बनना चाहिए। कुलाधिपति ने कहा कि समाज में व्याप्त नशा विनाश की जड़ है। लोगों में नशा राष्ट्रवाद का होना चाहिए, विकसित राष्ट्र बनाने का होना चाहिए, नशा शरीर के साथ समृद्धि को नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों का नशे से दूर रहना होगा। सभी युवा संकल्प करें की वे नशा नही करेंगे। नशा और दहेज प्रथा यह समाज की सबसे बड़ी बुराई है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा का बजट 1.48 लाख करोड़ कर दिया गया है। उसके प्राप्त करने के लिए प्रपोजल बनाये और उसे प्राप्त करें तथा शिक्षा के स्तर को उच्चीकृत करें। उच्च क्वालिटी की शिक्षा अब योग्यता के आधार पर नही मिलेगी। प्रतिवर्ष एक लाख विद्यार्थियों को दस लाख रूपये ब्याज रहित लोन दे रही है। जिससे अपने युवा अपने लिए रोजगार के अवसर तैयार करे। अच्छी कम्पनियों में लाखों युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर मिलेंगे। मेडल के साथ अच्छे चरित्र का भी निर्माण करें।

समारोह में कुलाधिपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र ने 2021-22 से स्नातक स्तर पर तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा सफलता पूर्वक क्रियान्वित किया गया और जिसके त्रिवर्षीय स्नातक एवं परास्नातक के प्रथम बैच सत्र 2023-24 में सफलता पूर्वक पूर्ण हो चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत संचालित समस्त पाठ्यक्रमों के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। विश्वविद्यालय परिसर के शोधार्थियों तथा शिक्षकों द्वारा गुणवत्तापरक शोध को प्रोत्साहित करने हेतु विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-2025 से ‘‘शोध एवं विकास नीति‘‘ को क्रियान्वित किया है। उक्त के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ शोध पुरस्कार, सीडग्रांट को उपलब्ध कराना, गुणवत्ता युक्त शोध पत्रों हेतु नगद पुरस्कार, शोध छात्रों के लिए फेलोशिप, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के आयोजन हेतु तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रतिभाग करने हेतु वित्तीय सहायता इत्यादि सुविधाएं प्रदान किए जाने संबंधी प्रावधानों का समावेश विश्वविद्यालय परिसर के शोधार्थियों तथा शिक्षकों के शैक्षणिक विकास के लिए सुनिश्चित किया गया है। इसके अतिरिक्त, पी-एच.डी. स्कॉलर के लिए पी-एच.डी. थीसिस को समुचित, समान तथा वैज्ञानिक ढंग से लिखने तथा उसको जमा करने हेतु एक मार्ग निर्देशिका तैयार कर सत्र 2024-2025 से भी लागू की गई है। समारोह में उन्होंने कहा कि सत्र 2024-2025 से विश्वविद्यालय ने आवासीय परिसर के शिक्षकों के लिए ‘‘परामर्श नीति‘‘ को निर्मित करते हुए क्रियान्वित भी कर दिया है, जिसका उद्देश्य बाहरी संस्थाओं तथा संगठनों को उन समस्याओं के संबंध में पेशेवर सलाह तथा समाधान प्रदान करना है जिनको वह स्वयं समाधान करने में सक्षम नहीं होते हैं। इस परामर्श नीति के क्रियान्वित किए जाने से न केवल शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के पेशेवर ज्ञान तथा दक्षता में अभिवृद्धि होती है बल्कि विश्वविद्यालय शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से धन की प्राप्ति भी होती है।

शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए विकास का साधनः प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा

विवि के 29 वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि यूनेस्को संचालित महात्मा गांधी शांति व सतत् विकासार्थ शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो0 भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए अद्यतन ज्ञान, उन्नत प्रौद्योगिकी, उत्कृष्ट, नैतिकता, उच्च सामाजिक संवेदना एवं उच्च राष्ट्रनिष्ठा के संस्कारों के प्रस्फुटन व विकास का साधन है। देश व समाज का आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास शिक्षा के अनुरूप व उसके समानुपात में ही होता है। देश के भावी विकास की दिशा व गति हमारे 15 लाख विद्यालयों के 27 करोड़ विद्यार्थियों एवं 1100 विश्वविद्यालयों सहित 45,000 महाविद्यालयों में अध्यनरत 4 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं की शिक्षा-दीक्षा पर ही निर्भर करेगी। समारोह में उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय की विविध उपाधियों से विभूषित होने वाले ये छात्र-छात्राएँ देश के सभी ज्ञान आधारित आयामों को अपने अद्यतन ज्ञान व कौशल से स्पन्दित कर देश के समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगे। हमारे उच्च शिक्षा से विभूषित युवा ही चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति के दौर में वैश्विक विकास को गति प्रदान करेंगे। हमारे सुशिक्षित छात्र-छात्राओं के सामाजिक सरोकार व मानवीय संवेदनायें ही देश व समाज में सामाजिक सौहार्द व समरसता के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक विरासत की सरिता को भी सतत् प्रवाहमान रखेगी। हमारी 143 करोड़ जनसंख्या के साथ, हम विश्व की 17.6 प्रतिशत जनसंख्या का निर्माण करते हैं। आज सम्पूर्ण यूरोप के 50 देशों एवं 26 लेटिन अमेरिकी देशों को मिलाकर कुल 76 देशों की संयुक्त जनसंख्या से भी हमारी जनसंख्या अधिक है। हमारी कार्यशील आयु की जनसंख्या आज 90 करोड़ से अधिक है और 2030 तक यह संख्या 100 करोड़ हो जायेगी। यह विश्व की कुल कार्यशील जनसंख्या की 24.3 प्रतिशत होगी। यदि देश की कार्यशील आयु की सम्पूर्ण जनसंख्या को कार्य युक्त किया जा सके तो भारत 400 खरब डालर अर्थात 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी आज 25 ट्रिलियन डालर तुल्य है।

समारोह में प्रो. शर्मा ने कहा कि प्राचीन समय में भी रामायण काल में महाराज दशरथ के अर्थशास्त्री एवं भगवान राम के शिक्षक रहे उपाध्याय सुधन्वा ने अर्थशास्त्र को परिभाषित करते हुए समाज के सभी कार्यक्षम परिजनों को कार्य सुलभ करवाने, उस कार्य से उन्हें समुचित आय की प्राप्ति, उस आय में सतत् विवर्धन और समाज में उसके सम्यक वितरण पर बल दिया है। भारतीय प्रतिभा की हमारे चतुर्दिक उत्कर्ष में सहभागिता उत्तरोत्तर बढ़े, इस दृष्टि से हमारे प्रधानमंत्री के भी मेक इन इण्डिया, मेड बाई इण्डिया, स्किलिंग कार्यक्रमों से जनित कौशल विकास और स्टार्ट-अप इण्डिया से स्टैण्ड-अप इण्डिया पर्यन्त स्वावलम्बन के आवाहनों के परिणामस्वरूप अब वह दिन दूर नहीं रह जायेगा, जब हम अपनी प्रतिभावान युवा शक्ति की बौद्धिक ऊर्जा के अभिनिवेश से देश के प्राचीन वैभवपूर्ण गौरव को लौटा लायेंगे। इन आवाह्नों की प्रेरणा से ही भारत आज तीसरा सर्वाधिक स्टार्ट-अप वाला देश बन गया है। उद्यमिता विकास व स्वरोजगार प्रोत्साहन सहित अद्यतन प्रौद्योगिकी के विकास के प्रयासों के साथ-साथ सभी छात्र-छात्राओं में सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशीलता व उनके आचार व व्यवहार में उच्चतर नैतिकता व राष्ट्रनिष्ठा को गहराई से बद्धमूल करने के हमारे उदात्त लक्ष्य, उच्च शिक्षा के सम्मुख हिमालय सी ऊँचाई लिये हुए हैं।

समारोह में उन्होंने बताया कि देश की उच्च शिक्षा-प्राप्त युवा पीढ़ी पर तो आज हमारी ही नहीं वरन् संपूर्ण विश्व अपनी आशाओं को केन्द्रित किए हुए है। हाल के जनसांख्यिकीय अनुमानों के अनुसार अमेरिका, जापान, यूरोप, चीन व दक्षिण पूर्व एशिया सहित विश्व के सभी प्रमुख औद्योगिक देशों में वृद्धों के बढ़ते अनुपात के कारण इन देशों में विविध ज्ञान आधारित उद्योगों में नियोजन हेतु युवा जनशक्ति का भारी अभाव हो जाएगा। वस्तुतः इन देशों में आगामी 7 वर्षों में होने वाली सेवानिवृत्तियों से सभी प्रमुख ज्ञान आधारित रोजगार-क्षेत्रों में नियोजन के लिए जो जनाभाव उत्पन्न होगा, उसकी पूर्ति भारत के उच्च व तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवा करेंगे।

कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि आज भी विश्व के प्रमुख औद्योगिक देशों के ज्ञान आधारित क्षेत्रों में भारत की उच्च शिक्षा प्राप्त प्रतिभाएं बड़ी संख्या में उनकी आर्थिक संवृद्धि व सामाजिक सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान कर रही है। विश्व की अधिसंख्य बौद्धिक सम्पदा-आधारित शीर्ष कम्पनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सहित अधिकांश सामाजिक सेवाओं में आज भी मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पद सहित बड़ी संख्या में शीर्ष पदों पर भारतीय ही महती भूमिकायें सम्पादित कर रहे हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब, कॉग्निजेण्ट, ग्लोबल फाउण्ड्रीज, हर्मन इण्टरनेशनल, नेट-एप, पेप्सीको, मास्टर कार्ड, बर्कशायर हाथवे इन्श्योरेन्स, सॉफ्टबैंक आदि विश्व की अधिकांश व सर्वाधिक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भारतीय रहे हैं, जिनके वार्षिक वेतन 200 करोड़ रूपये से भी अधिक हैं। यह हमारी उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा की श्रेष्ठता का ही परिणाम है कि देश औषधि उत्पादन, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, अन्तरिक्ष अनुसंधान आदि अनेक क्षेत्रों में विश्व में उत्कृष्ट प्रतिष्ठा अर्जित किये हुए हैं। सर्वाधिक उचित मूल्य पर औषधि उत्पादन के क्षेत्र में भारत, विश्व में क्रमांक 1 पर होने से, विश्व के 40 प्रतिशत रक्त कैंसर व 42 प्रतिशत एड्स रोगियों के लिए सुलभ कीमत पर औषधियों का एकमेव आपूर्तिकर्ता देश होने से ‘‘विश्व की फार्मेसी‘‘ कहलाता है। इसी प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं की आउटसोर्सिंग में ।। प्रतिशत योगदान के साथ विश्व में क्रमांक एक पर है। देश में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात हाल के वर्षों में तेजी से बढ़कर 28.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है। विश्वविद्यालयों में शोध, शोध प्रकाशनों व पेटेन्ट सहित विविध बौद्धिक सम्पदाधिकार के आवेदन व पंजीयन के लिए प्रेरक व उचित पारिस्थितिकीय तंत्र विकसित करना आज की एक अहम चुनौती है। उच्च विश्वसनीयता-युक्त शोध एवं उस शोध पर आधारित उत्तरोत्तर शोधों में बार-बार उद्धृत किए जाने योग्य प्रकाशनों में तेजी से वृद्धि भी आवश्यक है। देश आज इस दिशा में अग्रसर है। अन्तरिक्ष विज्ञान में नैनो प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इण्टेलिजेन्स) से जैव प्रौद्योगिकी तक सभी क्षेत्रों में शिक्षा व शोध के क्षेत्र में भारत विश्व के अग्र पंक्ति के देशों में से एक है। परिणामतः आज विश्व के वैश्विक क्षमता विकास केन्द्रों (ग्लोबल केपेबिलिटी सेण्टर्स) में से 40 प्रतिशत भारत में केन्द्रित हैं। देश के विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षा संस्थानों में इन दिनों अनुसंधान, प्रकाशन व पेटेण्ट आवेदनों में आ रही तेजी हमें द्रुतगति से विश्व के अग्रणी देशों में स्थापित करने जा रही है।

समारोह में प्रो0 भगवती प्रकाश ने बताया कि इस सम्पूर्ण प्रगति का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति को पहुँचे, हमें देश के प्रत्येक उच्च शिक्षा प्राप्त एवं विश्वविद्यालयों की उपाधियों से विभूषित व्यक्ति में नैतिकता व सामाजिक संवेदना का स्तर भी इतना ऊँचा करना होगा कि आजीवन उसकी दृष्टि, आचार-विचार व समस्त कार्यकलाप देश, समाज व मानवता के सतत उत्कर्ष व सबके योगक्षेम के लिये संकल्पित रहे। हमें विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों को सतत अद्यतन बनाये रखने के साथ ही ऐसी शिक्षण पद्धतियों का भी समावेश करना होगा कि छात्रों में ज्ञान की उत्कृष्टता के साथ नैतिकता व उपरोक्त सामाजिक संवेदनाओं का यथेष्ट विकास हो।

समारोह में प्रो0 शर्मा ने बताया कि हमें अपनी शिक्षा व शिक्षण विधियाँ जिन्हें आज पेडागॉजी, एण्ड्रागॉजी व ह्यूटागॉजी ट्रांसफार्मेशल पेडागाजी जैसी विविध शिक्षण उपागमों का भी इस प्रकार समावेश करना होगा कि हमारे दीक्षित छात्रों में ऐसे सभी विविध गुणों का सहवर्ती विकास हो और वे देश, समाज व मानवता के प्रति आजन्म संकल्पित रहें। आज विश्व में फैलती आर्थिक विषमता व तज्जनित अभावों, पर्यावरण के अविरल क्षरण और असहिष्णुताजन्य आतंकवाद जिस प्रकार से विश्व मानवता के लिये नित नये गम्भीर संकट उत्पन्न कर रहे हैं। उन्हें देखते हुये भारतीय जीवन मूल्यों से अनुप्राणित व 60 वर्ष पूर्व जिस ‘‘एकात्म मानव दर्शन‘‘ को पण्डित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित किया वह आज अत्यन्त प्रासंगिक हो जाता है। व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, विश्व, सम्पूर्ण जीव सृष्टि व प्रकृति के बीच अंगांगी भाव से अनवरत सामजंस्य व सहयोग के एकात्म मानव दर्शन के विचार के अनुसरण से यह सम्भव है। अतएव आज देश के विश्वविद्यालयों में सतत् अर्थात् धारणीय विकास के साथ सामाजिक सौहार्द के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु ऐसे हमारे पारम्परिक चिन्तन व मूल्यों पर भी अध्ययन व शोध आवश्यक है।

समारोह में प्रो0 शर्मा ने कहा कि विश्व में मूल्य परक व उत्कृष्ट शिक्षण की भारत की अनादिकालीन परम्परा व अति प्राचीन काल में अनेक सहस्राब्दियों पूर्व भारत द्वारा वेदों के प्रसार और वैदिक ज्ञान की प्राचीनता व गहनता को विश्व मानता है। ऋग्वेद की तीस प्राचीनतम पाण्डुलिपियों को ‘‘संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग‘‘ (यूनेस्को) ने वेदों में सन्निहित ज्ञान व उनकी प्राचीनता के आधार पर ऋग्वेद को तो विश्व की प्राचीन विरासत में सूचीबद्ध किया है और उन्हें विश्व की प्राचीनतम सर्वाधिक दीर्घ व अक्षुण्ण पाण्डुलिपि माना है। आज पुनः वह समय आ गया है, जब हम देश व विश्व मानवता के हितार्थ ज्ञान के सृजन में अपने युग-युगीन पारम्परिक दायित्व का निर्वाह और अधिक गम्भीरता पूर्वक करें।

विकसित भारत बनाने के लिए प्रतिभाओं को तराशनाः उच्च शिक्षा मंत्री

दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि जीवन के पीछे माता-पिता की भूमिका और गुरू का पाथेय है। विश्वविद्यालय शिक्षा की पावन भूमि है। इसी स्थल पर अस्मिता के प्रतीक श्रीराम जी ने जन्म लिया है। अटक से कटक तक कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक राष्ट्र है। प्रभु श्रीराम ने शैव और वैश्णव को एम सूत्र में पिरोया। राम ने राष्ट्र को एक सूत्र में बाधा है। उन्होंने कहा कि भारत के तीन प्रमुख चिंतक माने जाते है। महात्मा गांधी, लोहिया, और पं दीनदयाल। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि यह युवाओं का दायित्व है कि देश को राष्ट्र के संकल्पित है। स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्त करते हुए कहा कि स्वामी के संस्कार युक्त शिक्षा होनी चाहिए। शिक्षा की उच्चीकृत एवं तकनीकी युक्त होनी चाहिए। विकसित भारत बनाने के लिए प्रतिभाओं को तराशना एवं तलाशना होगा।

दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर विद्यमान होकर प्रतिवर्ष लाखो का जीवन प्रतिमान कर रहा है। भारतीय ज्ञान परम्परा के विकसित करने के लिए कठिन साधना की आवश्यकता है। हमें अपनी प्राचीन शिक्षा का गौरव वापस पाने के लिए वैदिक शिक्षा का अपनाना होगा। किसी भी विश्वविद्यालय के छात्र उस संस्था के ब्राण्ड अम्बेस्डर होते है। सभी युवाओं से अपील है। कि राष्ट्र के निर्माण में सार्थक रूप से योगदान करें।

विद्यार्थी जीवन का उपयोग ज्ञान और मानवीय मूल्यों की सिद्धि में करेंः कुलपति

दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने अतिथियो का स्वागत व विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र 2021-22 से स्नातक स्तर पर, तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है, इसके अंतर्गत प्रथम बैच के विद्यार्थी सत्र 2023-24 में उत्तीर्ण हो चुके हैं। विश्वविद्यालय परिसर में उ.प्र. कौशल विकास मिशन के कौशल विकासार्थ एक स्किल हब स्थापित किया गया है जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय तथा सम्बद्ध महाविद्यालय के विद्यार्थियों को फूलों से इत्र, टूरिस्ट गाइड एवं कृषि से सम्बन्धित क्षेत्रों में कौशल विकास संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों के लिये रोजगार प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे। कुलपति ने बताया कि सत्र 2023-24 में विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए 200218 उपाधियाँ प्रदान की जा रही हैं जिनमे: छात्र एवं 58ः छात्रायें हैं। इन सफल विद्यार्थियों की उपाधियाँ आज आपके कर कमलों से, भारत सरकार के डिजिलॉकर में ई-प्रमाणपत्र के रूप में उपलब्ध करायी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस दीक्षान्त समारोह में सर्वोच्च अंकों से उत्तीर्ण होने वाले 116 प्रदान किये जाने वाले स्वर्ण पदकों मे 65 स्वर्ण पदक छात्राओं को दिए जा रहे हैं जो की कुल संख्या का 64 प्रतिशत है। समारोह में कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में अन्तर विभागीय, महाविद्यालयीय एवं विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त परिसर स्तर पर विभिन्न विषयों पर भाषण, निबंध, पोस्टर मेकिंग एवं पेन्टिंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन समय≤ पर किया जाता है। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर के छात्र-छात्राएं देश के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों, ख्यातिलब्ध शोध व शैक्षणिक संस्थानों, बैंकिंग सेवा, भारतीय सेना एवं निजी क्षेत्र के उद्यमों के साथ-साथ विदेशों में स्थित महत्वपूर्ण संस्थानों में भी अपनी सेवाएं दे रहे है।

समारोह में कुलपति प्रो. गोयल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने देश के विभिन्न उत्कृष्ट संस्थानों के साथ 55 शोध, शैक्षिक, प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट संबंधी एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं। इसके अतिरिक्त शैक्षिणिक विभागों द्वारा नवंबर 2023 के बाद एक अंतर्राष्ट्रीय तथा 86 राष्ट्रीय संगोष्ठीयाँ एवं कार्यशालायें तथा 69 सह शैक्षणिक गतिविधियाँ आयोजित की गयीं। विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों ने सत्र 2023-24 में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में 2 स्वर्ण, 3 रजत और 19 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं। उन्होंने बताया कि गुणवत्तापरक शोध को प्रोत्साहित करने हेतु विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-2025 से ‘‘शोध एवं विकास नीति‘‘ को क्रियान्वित किया है। इसके अंतर्गत शोध पुरस्कार, सीडग्रांट, उत्कृष्ट शोध पत्रों हेतु नगद पुरस्कार, शोध छात्रों के लिए फेलोशिप, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों के आयोजन और प्रतिभाग हेतु वित्तीय सहायता सुविधाएं प्रदान किए जाने के प्रावधान हैं। इसके अतिरिक्त पी-एच.डी. स्कॉलर के लिए पी-एच.डी. थीसिस को समुचित, समान तथा वैज्ञानिक ढंग से लिखने तथा उसको जमा करने हेतु एक मार्ग निर्देशिका तैयार कर सत्र 2024-2025 से लागू की गई है। सत्र 2024-2025 से विश्वविद्यालय ने आवासीय परिसर के शिक्षकों के लिए ‘परामर्श नीति‘ को निर्मित करते हुए क्रियान्वित किया है, जिसका उद्देश्य बाहरी संस्थाओं तथा संगठनों को उन समस्याओं के संबंध में पेशेवर सलाह तथा समाधान प्रदान करना है जिनको वह स्वयं समाधान करने में सक्षम नहीं होते हैं। इसके क्रियान्वन से शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के ज्ञान तथा दक्षता में अभिवृद्धि होती है और आर्थिक प्राप्ति भी होती है।

समारोह में कुुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय महिला अभियान के अंतर्गत अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रहा है। महिलाओं एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा, पौष्टिक आहार एवं नियमित दिनचर्या सम्बन्धी सकारात्मक कदम उठा रहा है। महिलाओं तथा बेटियों के सशक्तिकरण के लिए माधवपुर मसौधा गाँव में 08 प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर आयोजित कराये गये। गोद लिए गए इस गाँव में क्षय रोग से ग्रसित मरीजों के स्वास्थ्य लाभ की समीक्षा की गई। टोनिया-विहारीपुर ग्राम पंचाय के भवन में सामूहिक कैंप का आयोजन कर क्षय रोग के लक्षणों एवं इसके निदान के बारे में जानका प्रदान की गई। नियमित उपचार हेतु दवाइयां भी उपलब्ध करवाई गईं।

कुलपति ने बताया कि अनुभूति एक प्रयास के अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को वृद्ध आश्रमों जोड़ने का प्रयास किया गया है जिससे युवा वर्ग में बुजुर्गों के प्रति सम्मान और सेवा भाव जागृत हो सके। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी छात्रों के वृद्धआश्रम सम्बन्धी भ्रमण आधारित अध्ययन को पुस्तक रूप मे प्रकाशित किया गया है। छात्रों में पढ़ने की रुचि विकसित करने के लिए फ्री ओपन लाइब्रेरी की शुरुआत एक नया सफल प्रयोग है। इसके अतिरिक्त, मशरूम उगाने की ट्रेनिंग भी शुरू की गयी है। वहीं इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस सोत्साह मनाया गया। शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया तथा योग के लिए शपथ ग्रहण कर राजभवन द्वारा अर्जित गिनीज बुक विश्व रिकॉर्ड बनाने में अपना उल्लेखनीय योगदान प्रदान करके कुलाधिपति के कर कमलों से प्रशस्ति पत्र अर्जित किया। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय अयोध्या की पौराणिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के संरक्षण की दिशा में अपना सार्थक योगदान प्रदान कर रहा है। वर्ष 2023 के दिव्य दीपोत्सव में विश्वविद्यालय के 25000 छात्रों एवं शिक्षकों द्वारा पावन सरयू के 51 घाटों पर 22 लाख 23 हजार दीप प्रज्वलित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान दर्ज किया है। अंत में कुलपति प्रो0 गोयल ने विद्यार्थियों से कहा कि अपने जीवन का उपयोग ज्ञान, संस्कार, संस्कृति और मानवीय मूल्यों की सिद्धि में करें।

29 वें दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांव के प्राथमिक व पूर्व प्राथमिक विद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताएं कराई गई थी इनके विजेता प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किए बच्चों को प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन द्वारा शिल्ड देकर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त इस समारोह में बहराइच जनपद की आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों को राज्यपाल आनंदीबेन ने अपनी ओर बच्चों के लिए किट प्रदान किया। वही विश्वविद्यालय की ओर 100 व बहराइच जिला प्रशासन की ओर से 100 किट कुलाधिपति के हाथों आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रदान किया। दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल द्वारा राज्यपाल एवं मुख्य अतिथि प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय व राज्यमंत्री उच्च शिक्षा श्रीमती रजनी तिवारी को स्वागत स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम भेटकर किया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय की स्मारिका, अनुभूति एक प्रयास द्वितीय संस्करण व इण्डियन नालेज सिस्टम पुस्तक का विमोचन कुलाधिपति द्वारा किया गया।