वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक में 85 करोड़ के घोटाले पर ईडी की कार्रवाई: आलोक मेहता समेत चार राज्यों में छापेमारी

Alok Kumar Mehta Rjd 17364865256

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक में हुए 85 करोड़ के घोटाले के सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बड़े नेता और लालू प्रसाद यादव के करीबी आलोक मेहता के ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कुल 19 स्थानों पर की गई। घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच के तहत यह कार्रवाई की गई।

घोटाले की पृष्ठभूमि

वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना लगभग 37 साल पहले आलोक मेहता के पिता तुलसीदास मेहता ने की थी। तुलसीदास मेहता, जो कई बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके थे, ने अपने राजनीतिक प्रभाव के जरिये इस बैंक को स्थापित किया था। 1996 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक को लाइसेंस दिया था।

आलोक मेहता ने 1995 में अपने पिता से बैंक का कार्यभार संभाला। हालांकि, 2012 में उन्होंने चेयरमैन का पद छोड़ दिया, लेकिन बैंक के साथ उनका और उनके परिवार का संबंध बरकरार रहा।

कैसे हुआ घोटाला उजागर?

जून 2023 में बैंक के ग्राहकों की शिकायतों पर आरबीआई ने प्राथमिक जांच शुरू की और गड़बड़ियों का पता चलने के बाद बैंक के लेन-देन पर रोक लगा दी। नवंबर 2023 में लिच्छवी कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड और महुआ कोऑपरेटिव कोल्ड स्टोरेज को दिए गए लगभग 60 करोड़ रुपये के लोन पर सवाल उठे। ये दोनों कंपनियां आलोक मेहता के परिवार से जुड़ी हुई हैं।

इसके अलावा, लगभग 30 करोड़ रुपये फर्जी पहचान पत्र और फर्जी एलआईसी दस्तावेजों के आधार पर निकाले जाने का आरोप भी सामने आया। कुल मिलाकर बैंक के ग्राहकों को करीब 24 हजार खाते प्रभावित हुए, जिससे हजारों लोगों ने बैंक के ठिकानों पर प्रदर्शन कर ताले तक जड़ दिए।

ईडी की जांच और छापेमारी

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई तेज करते हुए पटना और हाजीपुर में 9 ठिकानों, कोलकाता में 5, वाराणसी में 4, और दिल्ली में 1 स्थान पर छापेमारी की। इस जांच में बैंक के संचालन में कई गड़बड़ियों और नियमों के उल्लंघन की बात सामने आई है।

बैंक के वित्तीय घोटाले का विवरण

  • 60 करोड़ रुपये: मेहता परिवार की कंपनियों को लोन, जिसमें नियमों का पालन नहीं किया गया।
  • 30 करोड़ रुपये: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निकाले गए।
  • 2015 में गड़बड़ी: पहली बार बैंक के लेन-देन में अनियमितताओं की शिकायत हुई।
  • 2023 में बैंक पर रोक: आरबीआई ने ग्राहकों की शिकायतों के बाद बैंक के सभी लेन-देन पर रोक लगाई।

बैंक और मेहता परिवार का कनेक्शन

तुलसीदास मेहता के निधन के बाद उनके बेटे आलोक मेहता ने बैंक का कार्यभार संभाला। बाद में, गड़बड़ियों के आरोप लगने पर उन्होंने बैंक से खुद को अलग कर लिया। वर्तमान में उनके भतीजे संजीव कुमार बैंक के चेयरमैन हैं। बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में चार वर्षों तक 1 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ दिखाया गया था।

ग्राहकों की नाराजगी

बैंक के घोटाले के बाद ग्राहकों का गुस्सा फूट पड़ा। नवंबर 2023 में हजारों ग्राहकों ने बैंक और मेहता परिवार के ठिकानों पर प्रदर्शन कर अपने पैसे वापस मांगने की मांग की।

आरबीआई की भूमिका और कार्रवाई

1996 में बैंक को लाइसेंस देने के बाद आरबीआई ने समय-समय पर इसकी जांच की। 2015 में गड़बड़ियां सामने आने पर बैंक का संचालन रोक दिया गया था। अब, 2023 में एक बार फिर इसी तरह के घोटाले ने इसे विवादों के केंद्र में ला दिया है।