आर्थिक सर्वेक्षण 2025: सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षण 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7% से कम रहने का अनुमान है। वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और बाह्य चुनौतियों के कारण आगामी वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि धीमी रहने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में संभावित गिरावट का एक मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक चुनौतियां हो सकती हैं। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव से भी नौकरियों पर असर पड़ने की संभावना है, जिससे भारत के श्रम बाजार को नई रणनीति अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में भारत के निर्यात में गिरावट का भी अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर दबाव पड़ सकता है। साथ ही विनिर्माण क्षेत्र में चीन पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर भी चिंता व्यक्त की जा सकती है। सरकार इस दिशा में आत्मनिर्भर भारत पहल को और मजबूत करने पर जोर दे सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण में भारत के निर्यात में गिरावट का भी अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर दबाव पड़ सकता है। साथ ही विनिर्माण क्षेत्र में चीन पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर भी चिंता व्यक्त की जा सकती है। सरकार इस दिशा में आत्मनिर्भर भारत पहल को और मजबूत करने पर जोर दे सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण में औद्योगिक क्षेत्र में विनियमन को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है, जिससे निवेश बढ़ाने और कारोबार को आसान बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने तथा सुधारों को बढ़ावा देने की भी संभावना है।
सरकारी नीतियों और आगामी बजट से मिलने वाले संकेतों के आधार पर यह देखा जाएगा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह संतुलन बनाए रखती है और विकास दर को बनाए रखने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।