प्रशांत महासागर में भूकंप का कहर: रूस तट पर 8.7 तीव्रता के झटके, जापान-अलास्का पर सुनामी का साया

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बुधवार को प्रशांत महासागर के तट पर स्थित रूस के कामचटका क्षेत्र में भूगर्भीय हलचल का एक ऐसा दौर चला जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, इस क्षेत्र में चार शक्तिशाली भूकंपों ने धरती को हिलाकर रख दिया, जिनकी तीव्रता 8.7 तक मापी गई। इन भूकंपों के कारण न केवल रूस का तट बल्कि जापान, अलास्का और यहाँ तक कि हवाई जैसे दूर-दराज के क्षेत्र भी सुनामी के खतरे की जद में आ गए।

सुनामी का साया: जापान और रूस पर 3 मीटर तक की लहरों का खतरा!

इन विनाशकारी भूकंपों के बाद, अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा (NWS) सुनामी अलर्ट ने तत्काल कई परामर्श (advisories) और घड़ियाँ (watches) जारी कीं। अमेरिका के अलास्का की एल्यूशियन द्वीप श्रृंखला, जो अटटू से समल्गा पास तक फैली है, के लिए एक सुनामी एडवाइजरी जारी की गई। यह चेतावनी रूस और जापान के लिए भी एक संभावित सुनामी खतरे की ओर इशारा कर रही थी। जापान के लिए 1 मीटर तक की लहरों का अनुमान लगाया गया था, जबकि रूस के तटीय इलाकों में 3 मीटर से अधिक ऊंची लहरों की आशंका जताई गई थी। इसके साथ ही, हवाई, गुआम और उत्तरी मारियाना द्वीपों के लिए भी एक सुनामी वॉच जारी की गई, जिससे इन द्वीपों पर रहने वाले लोगों में चिंता की लहर दौड़ गई। जापान मौसम एजेंसी (JMA) ने भी पुष्टि की कि इन झटकों के बाद 1 मीटर ऊंची सुनामी लहरें जापान के तटों तक पहुँच सकती हैं।

 earthquakes and tectonic plates: भूकंपीय गतिविधियों का वैज्ञानिक विश्लेषण

USGS के अनुसार, यह भूकंप उथले रिवर्स फॉल्टिंग (shallow reverse faulting) का परिणाम था। भूविज्ञान के अनुसार, पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की निरंतर गति इन भूकंपों का मुख्य कारण होती है। यहां, प्रशांत प्लेट (Pacific plate) उत्तरी अमेरिकी प्लेट (North American plate) के सापेक्ष लगभग 77 मिमी प्रति वर्ष की दर से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रही है, जबकि उत्तरी अमेरिकी प्लेट पश्चिम की ओर महाद्वीप से परे फैली हुई है। इस प्रकार की प्लेटों की टक्कर और घर्षण से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप के रूप में प्रकट होती है।

उथले भूकंपों का अधिक खतरा: क्यों हैं ये ज़्यादा खतरनाक?

वैज्ञानिकों का मानना है कि उथले भूकंप (shallow earthquakes) गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं। इसका सीधा सा कारण यह है कि उथले भूकंपों से निकलने वाली भूकंपीय तरंगों (seismic waves) को सतह तक पहुँचने के लिए कम दूरी तय करनी पड़ती है। इस कम दूरी के कारण, सतह पर कंपन (ground shaking) बहुत अधिक तीव्र होता है, जिससे इमारतों और बुनियादी ढाँचों को अधिक नुकसान पहुँचता है और हताहतों की संख्या भी बढ़ सकती है। इसके विपरीत, गहरे भूकंपों से निकलने वाली तरंगों को सतह तक पहुँचते-पहुँचते अपनी ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा खोना पड़ता है, जिससे उनका प्रभाव कम हो जाता है।

कुरिल-कामचटका आर्क: भूकम्पीय गतिविधि का केंद्र!

USGS ने बताया कि इस भूकंप का स्थान और गति की दिशा, कुरिल-कामचटका आर्क (Kuril-Kamchatka Arc) के सबडक्शन ज़ोन प्लेट इंटरफ़ेस (subduction zone plate interface) पर फॉल्टिंग के अनुरूप है। यह क्षेत्र लगातार मध्यम से बड़े भूकंपों के लिए जाना जाता है। वास्तव में, इस क्षेत्र में पिछले 100 वर्षों में 31 से अधिक भूकंप 6.5 या उससे अधिक तीव्रता के दर्ज किए गए हैं, जो इसकी उच्च भूकम्पीय सक्रियता को दर्शाता है।

भूकंपों का क्रम: 8.0 से 8.7 तक की तीव्रता

USGS के अनुसार, पहला भूकंप, जिसकी तीव्रता 8.0 मापी गई, पेट्रोपाव्लोव्स्क-कामचत्स्की के दक्षिण-पूर्व में आया। इसके तुरंत बाद, उसी तरह की तीव्रता (8.0) का एक और भूकंप उसी क्षेत्र में दर्ज किया गया। कुछ ही समय बाद, 6.9 तीव्रता का एक भूकंप पेट्रोपाव्लोव्स्क-कामचत्स्की के लगभग 144 किमी दक्षिण-पूर्व में आया, और फिर 6.3 तीव्रता का एक और भूकंप विलिचिंस्क के दक्षिण-पूर्व में दर्ज किया गया। बाद में, इन झटकों की कुल तीव्रता को 8.7 तक अपग्रेड किया गया, जिसने इसके विनाशकारी प्रभाव को और भी बढ़ा दिया।

सुनामी एडवाइजरी और वॉच का महत्व: क्यों जारी की जाती हैं ये चेतावनियां?

सुनामी वॉच (Tsunami Watch) का मतलब है कि एक संभावित सुनामी का खतरा है और लोगों को तैयार रहना चाहिए। यह एक प्रारंभिक चेतावनी है जो भूवैज्ञानिक डेटा के आधार पर जारी की जाती है। वहीं, सुनामी एडवाइजरी (Tsunami Advisory) का मतलब है कि सुनामी की उम्मीद है, लेकिन बड़े पैमाने पर विनाशकारी बाढ़ की संभावना कम है, फिर भी खतरनाक धाराएँ और लहरें हो सकती हैं। ये चेतावनियाँ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने का समय देती हैं।

यह घटना एक बार फिर पृथ्वी की गतिशील प्रकृति और प्रशांत क्षेत्र में मौजूद तीव्र भूकम्पीय गतिविधियों की याद दिलाती है। टेक्टोनिक प्लेटों की यह अनवरत गति भविष्य में भी ऐसे शक्तिशाली भूकंपों को जन्म दे सकती है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों में निरंतर निगरानी और तैयारी अत्यंत आवश्यक है।

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